डाॅ0 शिव शंकर त्रिपाठी ‘’शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्’’धर्म का प्रमुख साधन शरीर है, यदि शरीर स्वस्थ नहीं है तो हम धर्म (नियमित कार्यों) का पालन सुचारू रूप से नहीं कर सकते हैं अतः