नई दिल्ली: रिजर्व बैंक बोर्ड ने शुक्रवार को लेखा वर्ष 2019-20 के लिए 57,128 करोड़ रुपये का सरप्लस केंद्र सरकार को ट्रांसफर करने की मंजूरी दे दी. आरबीआई ने एक बयान में बताया कि केंद्रीय बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बोर्ड बैठक में यह फैसला किया गया. आरबीआई बोर्ड ने मौजूदा आर्थिक स्थिति, वैश्विक और घरेलू चुनौतियों और अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 महामारी के असर को कम करने के लिए उठाए गए मॉनिटरी, रेग्युलेटरी और दूसरे उपायों की समीक्षा की.

क्या होती है सरप्लस राशि
बता दें, आरबीआई का सरप्लस वह राशि होती है जो वह सरकार को दे सकता है. रिजर्व बैंक को अपनी आय में किसी तरह का इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता है.

बोर्ड ने दी मंज़ूरी
बयान के अनुसार, आरबीआई बोर्ड ने लेखा वर्ष 2019-20 के लिए 57,128 करोड़ रुपये का सरप्लस केंद्र सरकार को ट्रांसफर करने की मंजूरी दे दी. साथ ही 5.5 फीसदी कंटीजेंसी रिस्क बफर बनाए रखने का फैसला किया. इसके अलावा, केंद्रीय बैंक के बोर्ड ने एक इनोवेशन हब बनाने के प्रस्ताव पर भी चर्चा की. बोर्ड ने पिछले एक साल के दौरान बैंक के विभिन्न कामकाज पर चर्चा की और सालाना रिपोर्ट और 2019-20 के अकाउंट्स को मंजूरी दी.

ट्रांसफर का कोई नियम नहीं
आरबीआई एक्ट के अनुसार, केंद्रीय बैंक अपना जोखिम विश्लेषण करता है और हर साल केंद्रीय बैंक, खराब या संदिग्ध लोन, कर्मचारियों के लिए योगदान, परिसंपत्तियों के मूल्यह्रास और अवमूल्यन निधि (superannuation funds) के प्रावधान के बाद अपने लाभ का अतिरिक्त हिस्सा सरकार को भेज देता है. हालांकि इस ट्रांसफर के लिए कोई नियम नहीं है.