नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के सांसद फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ एक याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि सरकार से अलग राय व्यक्त करने को ‘राजद्रोह’ नहीं कहा जा सकता। शीर्ष अदालत ने कहा, “उन विचारों की अभिव्यक्ति जो सरकारी राय से अलग हैं, उन्हें राजद्रोह नहीं कहा जा सकता है।”

आरोप साबित करने में नाकाम
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ता अपने आरोप को साबित करने में विफल रहे कि फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त करने पर भारत के खिलाफ चीन और पाकिस्तान की मदद मांगी थी।

याचिकाकर्ता पर लगा 50,000 रुपये का जुर्माना
याचिकाकर्ता पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। नेशनल कांफ्रेंस के नेता के खिलाफ याचिका उनकी टिप्पणियों से जुड़ी है, जो अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा समाप्त करने के केंद्र के कदम के खिलाफ है।