टीम इंस्टेंटख़बर
भिखारियों के पुनर्वास और वैक्सीनेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने आज एक अहम याचिका पर सुनवाई करते हुए अपनी टिप्पणी में कहा कि लोगों के भीख मांगने पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने कोरोना महामारी के बीच भिखारियों के वैक्सीनेशन की मांग करने वाली याचिका पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से मदद मांगी।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि सड़क और लाल बत्तियों से भिखारियों को हटाने का आदेश नहीं दिया जा सकता है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एम आर शाह की बेंच ने कहा कि गरीबी नहीं होती तो कोई भीख नहीं मांगना चाहेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि भिक्षावृति की वजह गरीबी। हमें इस पर मानवीय रवैया अपनाने की ज़रूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा भिखारियों को सार्वजनिक स्थानों और ट्रैफिक पोस्ट से दूर नहीं जाना चाहिए। जब गरीबी भीख माँगने के लिए मजबूर करती है तो कोर्ट संभ्रांतवादी दृष्टिकोण नहीं अपना सकता हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक सामाजिक आर्थिक समस्या है और राष्ट्रीय राजधानी में सड़क पर रहने वालों और भिखरियों के टीकाकरण के सम्बंध में केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को तत्काल ध्यान देना चहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सहयोग करने का आग्रह किया। सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते के बाद होगी।
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