दिल्ली:
साल 2002 के गुजरात दंगों में अपने पति की मौत के ज़िम्मेदारों के खिलाफ लड़ाई लड़ रही ज़किया जाफरी को सुप्रीम कोर्ट से भी निराशा हाथ लगी, सुप्रीम कोर्ट ने आज उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र को SIT द्वारा मिली क्लीन चिट को बरकरार रखा है. बता दें कि गोधरा कांड के बाद गुजरात दंगों में गुलबर्गा सोसाइटी में रहने वाले कांग्रेस पार्टी के सांसद एहसान जाफरी समेत 68 लोगों की हत्या हुई थी, पूरी सोसाइटी को दंगाइयों ने आग के हवाले कर दिया था. एहसान जाफरी की पत्नी ज़किया जाफरी ने इन दंगों के लिए नरेंद्र को ज़िम्मेदार ठहराया था जबकि दंगों के लिए गठित SIT ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी. ज़किया जाफरी पिछले लगभग 20 सालों से इन्साफ की यह लड़ाई लड़ रही हैं.

बता दें कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने वाली एसआईटी रिपोर्ट के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की और तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को मिली क्लीन चिट को बरकरार रखा. कोर्ट ने 2002 दंगों के पीछे ‘बड़ी साजिश’ की जांच से इनकार करते हुए दिवंगत कांग्रेस नेता जाकिया जाफरी की याचिका खारिज कर दी है. फैसला सुनाने के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जाकिया की अपील में कोई मेरिट नहीं है.

बता दें कि पूरे मामले में नौ दिसंबर, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने मैराथन सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. दरअसल, 2002 के गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्ग हाउसिंग सोसाइटी हत्याकांड में मारे गए कांग्रेस विधायक एहसान जाफरी की विधवा जकिया जाफरी ने एसआईटी रिपोर्ट को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

दरअसल, जाकिया जाफरी ने एसआईटी पर आरोपियों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया था. जाकिया जाफरी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि जब एसआईटी की बात आती है तो आरोपी के साथ मिलीभगत के स्पष्ट सबूत मिलते हैं. राजनीतिक वर्ग भी सहयोगी बन गया है. एसआईटी ने मुख्य दस्तावेजों की जांच नहीं की.

बता दें कि अहमदाबाद की गुलबर्गा सोसायटी में साल 2002 में 28 फरवरी को हुए दंगों में कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी सहित 68 लोगों की मौत हो गई थी. एसआईटी ने जांच के बाद तब के गुजरात मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी गई. अहमदाबाद सहित गुजरात के कई शहरों कस्बों में दंगे भड़के थे. दंगों के दस साल बाद 2012 में एसआईटी ने जांच रिपोर्ट दाखिल की थी. रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को क्लीन चिट दी गई थी. याचिका में इसी रिपोर्ट को चुनौती दी गई थी और दंगों में बड़ी साजिश की जांच की मांग की गई थी, जिसे अब कोर्ट ने खारिज कर दिया है.