लखनऊः छात्र-छात्राएं कठोर परिश्रम और सतत् अध्ययन से एक महत्वपूर्ण मंजिल पार कर आज अपने जीवन का एक स्वर्णिम अध्याय प्रारम्भ कर रहे हैं। आप जीवन में उच्च आदर्शों को संरक्षित करते हुए दृढ़ निश्चय के साथ उन्हें अपने जीवन में भी उतारें। ये विचार उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने आज वीर बहादुर सिंह पूर्वाञचल विश्वविद्यालय, जौनपुर के 24वें दीक्षान्त समारोह में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि आगामी जीवन यात्रा में आपके द्वारा अर्जित उच्च शिक्षा एक बड़ा संबल है। ज्ञान ही शक्ति है। इस उक्ति को जीवन में चरितार्थ करते हुए आपको भविष्य का मार्ग तय करना है। इस राष्ट्र के युवा के तौर पर साहस के साथ कठोर परिश्रम करने को आप तैयार रहें। साथ ही अपने साथ दूसरों की सफलता का आनन्द उठाने के लिए संकल्पित हों।

इस अवसर पर राज्यपाल ने स्नातक के 15 तथा स्नातकोत्तर के 58 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किये। इनमें से 47 छात्राएं और 26 छात्र हैं। राज्यपाल ने गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि छात्राओं ने बौद्धिक क्षमता में छात्रों से बाजी मारी है। हमारे छात्र भी अपनी क्षमता को बढ़ायें और आगे बढ़े। इस दीक्षान्त समारोह में नौ सौ अड़तिस (938) सम्बद्ध महाविद्यालयों के एक लाख छप्पन हजार पांच सौ बाईस (1,56,522) विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गयी। इसके साथ ही बासठ (62) अभ्यर्थियों को पी-एच0डी0 की उपाधि प्रदान की गयी। उन्होंने विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि वे सभी अपने गांव, जिला, प्रदेश एवं देश के गौरव को बढ़ायें।

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिये विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति को बढ़ावा देना होगा, जिससे देश को बड़ी संख्या में आदर्शवान और प्रतिभाशाली युवा नागरिक उपलब्ध हो सकें। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में राष्ट्रीय चरित्र निर्माण, नैतिक उत्थान तथा तकनीकी कौशल को बढ़ावा दिया गया है। राज्यपाल ने कहा कि 21वीं सदी ज्ञान की शताब्दी है, जिसका सीधा मतलब है देश का आर्थिक एवं सामाजिक विकास, युवा शक्ति की योग्यता उसके कौशल विकास पर आधारित होनी चाहिए। इसलिये आवश्यकता है कि विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय छात्रों के कौशल विकास की दिशा में अग्रणी भूमिका निभायें। राज्यपाल ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ विजन के दृष्टिगत उच्च शिक्षा प्रणाली मुख्य रूप से अनुसंधान और उद्योग-आधारित कौशल सशक्तिकरण पर केंद्रित हो, जो विभिन्न क्षेत्रों में युवाओं को अवसर प्रदान करेगा और अपनी क्षमता के अनुसार प्रशिक्षण के साथ रोजगार के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा।

राज्यपाल ने निर्देश दिया कि विश्वविद्यालयों को शैक्षणिक कार्य के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी सहभागिता करनी चाहिए ताकि सामाजिक समस्याओं का जल्द ही समाधान हो सके। माननीय प्रधानमंत्री जी ने 2025 तक टी0बी0 मुक्त भारत की कल्पना की है। हम सभी को इसे साकार करना है। अतः विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय टी0बी0 ग्रस्त बच्चों को गोद लें, छात्राओं का एनीमिया जांच कराएं, गर्भवती महिलाओं का सौ प्रतिशत प्रसव अस्पताल में ही कराने, स्तनपान को भी बढ़ावा देने, आंगनवाड़ी केन्द्रों को पुष्टाहार उपलब्ध कराने जैसे कार्यों को भी अंगीकार करें। राज्यपाल ने कहा कि समाज में फैली कुरीतियां, बाल विवाह एवं महिलाओं पर होने वाले घरेलू अत्याचार पर रोक लगायी जानी चाहिए और इसका विरोध घर से ही शुरू किया जाए।