टीम इंस्टेंटखबर
अहमदाबाद गुजरात का चौथा ऐसा नगर निगम बन गया, जहां सड़क किनारे मांसाहारी खाना बेचने वाले ठेलों को मेन रोड से हटाने का फैसला किया गया है. इससे पहले वडोदरा, राजकोट और भावनगर में ऐसे आदेश पहले ही दिए जा चुके हैं. हालांकि, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि सरकार को इस बात से कोई समस्या नहीं है कि लोग क्या खाते हैं.
सोमवार को भाजपा के एक कार्यक्रम में बोलते हुए अहमदाबाद नगर निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष और अहमदाबाद से विधायक पटेल ने कहा कि पिछले दो दिनों से खाने के ठेलों को लेकर बहस चल रही है.
उन्होंने कहा कि हमें इस बात से कोई समस्या नहीं है कि कौन शाकाहारी खाता है और कौन मांसाहारी लेकिन इन ठेलों पर बेचे जाने वाले खाने स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह नहीं होने चाहिए. और अगर वे ट्रैफिक बाधित करते हैं तो नगर निगम उन्हें हटा सकता है.
इससे पहले, राजकोट, वडोदरा और भावनगर के नगर निगमों के राजनीतिक नेताओं ने मुख्य सड़कों से मांसाहारी खाने के ठेलों को हटाने के लिए इसी तरह के निर्देश जारी किए थे और अपनी स्थायी समितियों की मंजूरी के बिना उन्हें अपने नियमित अतिक्रमण विरोधी अभियान के हिस्से के रूप में हटा दिया था.
गुजरात प्रांतीय नगर निगम अधिनियम, 1949 के अनुसार, स्थायी समिति द्वारा लिए गए किसी भी निर्णय को लागू करने से पहले नगर आयुक्त को मंजूरी देनी होती है.
इससे पहले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल ने कहा था कि मैंने वडोदरा और राजकोट नगर निकायों के अधिकारियों से बात की है और उनसे कहा है कि वे मांसाहारी खाने के स्टॉलो को सड़कों से न हटाएं. यह स्वतंत्र नेताओं की निजी राय थी और राज्य भाजपा का इससे कोई लेना-देना नहीं है और हम इसे पूरे राज्य में लागू नहीं करेंगे.
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