नई दिल्ली: ”केंद्र सरकार की ओर से घोषित किए गए आर्थिक पैकेज को कांग्रेस ने दिखावा बताया है.” कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने शु्क्रवार को विपक्षी पार्टियों के साथ पहली ऑनलाइन बैठक के दौरान कही. बैठक में कोरोना वायरस संकट पर चर्चा हुई. कोविड-19 महामारी से निपटने में पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के तौर तरीके की आलोचना करते हुए कांग्रेस प्रमुख ने कहा, “सारी शक्ति अब एक कार्यालय, पीएमओ में केंद्रित हैं.”

उन्‍होंने कहा कि “संघवाद की भावना हमारे संविधान का अभिन्न अंग है लेकिन इसे भुला दिया गया है. इस बात के कोई संकेत नहीं है कि संसद के दोनों सदनों या स्थायी समितियों को कब मिलने के लिए बुलाया जाएगा.” पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे बैठक में शामिल हुए लेकिन मायावती की बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और आम आदमी पार्टी (आप) के अरविंद केजरीवाल इससे नदारद रहे. इन तीनों ही पार्टियों के कांग्रेस से अपने सियासी मसले हैं. इस दौरान सोनिया गांधी ने पीएम के आर्थिक पैकेज को देश के साथ ‘क्रूर मजाक’ की तरह बताया.

इस दौरान सोनिया गांधी ने सरकार की कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने की रणनीति पर निशाना साधा और कहा कि लगातार लॉकडाउन ने बहुत अधिक सकारात्‍मक परिणाम नहीं दिया.” कांग्रेस अध्‍यक्ष ने कहा, ‘‘कोरोना वायरस के खिलाफ युद्ध को 21 दिनों में जीतने की प्रधानमंत्री की शुरुआती आशा सही साबित नहीं हुई. ऐसा लगता है कि वायरस दवा बनने तक मौजूद रहने वाला है. मेरा मानना है कि सरकार लॉकडाउन के मापदंडों को लेकर निश्चित नहीं थी. उसके पास इससे बाहर निकलने की कोई रणनीति भी नहीं है.”

उन्‍होंने कहा कि ऐसा लगता है कि लॉकडाउन के मानदंड और इससे बाहर निकलने के मामले में सरकार में अनिश्चितता की स्थिति थी. अर्थव्यवस्था के गंभीर अवस्‍था में होने का जिक्र करते हुए सोनिया ने कहा कि लगभग हर अर्थशास्त्री ने राजकोषीय प्रोत्साहन के लिए तत्‍काल उपायों की जरूरत बताई थी. उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा करना और फिर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पांच दिनों तक इसका ब्यौरा रखे जाने के बाद यह एक क्रूर मजाक साबित हुआ.