लखनऊ

वनाधिकार दावों के निस्तारण में समाज कल्याण मंत्री ने अनियमितता को दूर करने का दिया आश्वासन

लखनऊ
वनाधिकार दावों के निस्तारण में देरी और अनियमितता, कोल को जनजाति के दर्जा देने और अनुसूचित जाति की सूची में दर्ज धंगड को संशोधित कर धांगर करने के सवाल पर आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट(आइपीएफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस आर दारापुरी ने समाज कल्याण मंत्री स्वतंत्र प्रभार असीम अरूण से मुलाकात कर उन्हें पत्रक सौंपा। उन्हें बताया गया कि सोनभद्र में कल उपजिलाधिकारी का हस्ताक्षर युक्त प्रमाणपत्र जारी किया गया है उसमें न तो वनाधिकार दावों के संबंध में भूभाग अथवा रकबा का जिक्र है और न ही खाता संख्या को दर्शाया गया है।

इसके अलावा सोनभद्र के 21 हजार अनुसूचित जनजाति के दावों में से तकरीबन चार हजार दावे ही निस्तारण हुआ है, इसमें कोल जो आदिवासी समुदाय से संबंधित है उसे जनजाति का दर्जा नहीं मिलने से उसे अन्य परंपरागत वन समुदाय के साथ माना जा रहा है और अभी तक अन्य परंपरागत वन समुदाय के दावों का पुनः परीक्षण शुरू नहीं किया गया है। मंत्री ने आश्वासन दिया कि वनाधिकार दावों में किसी भी प्रकार की अनियमितता को दूर किया जायेगा, सभी पात्र दावेदारों को जो काबिज जमीनें हैं उन्हें आवंटित किया जायेगा और इसकी वह खुद मानिटरिंग करेंगे। कोल का जनजाति का दर्जा देने के मुद्दे पर बताया कि इसकी कार्यवाही चल रही है। उनके संज्ञान में यह भी लाया गया कि आदिवासी वनवासी महासभा की याचिका पर माननीय हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि जब तक युक्तियुक्त सुनवाई का मौका देते हुए दावों का अंतिम रूप से निस्तारण न हो जाये तब तक किसी की काबिज जमीनों से बेदखली और उत्पीड़न की कार्यवाही नहीं होगी, लेकिन सोनभद्र और चंदौली में बड़े पैमाने पर मुकदमे दर्ज कर उत्पीड़न किया जा रहा है, तमाम जगहों पर बेदखली की कार्यवाही भी की गई है।

उत्पीड़न के सवाल पर मंत्री द्वारा कोई आश्वासन इसे रोकने का नहीं दिया गया। समाज कल्याण मंत्री से मुलाकात के बाद प्रेस को जारी बयान में आइपीएफ राष्ट्रीय अध्यक्ष एस आर दारापुरी ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद आदिवासियों व वनाश्रितों को बेदखल करने और उत्पीड़न की कार्यवाही दुर्भाग्यपूर्ण है, इसे तत्काल रोका जाना चाहिए। इसी तरह जिन जमीनों को आवंटित किया जा रहा है उसमें भी रकबे को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, आदिवासियों को संशय है कि कहीं पूर्व में हुए आवंटन की तरह ही दावों के सापेक्ष बेहद कम आवंटन न हो। कोल को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के संबंध में मंत्री के आश्वासन पर कहा कि अगर केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार चाहें तो तत्काल दर्जा दिया जा सकता है क्योंकि 2013 में ही इस तरह का प्रस्ताव राज्य सरकार की ओर से प्रेषित किया गया है।

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