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Morbi Hanging Bridge Incident: अबतक 141 लोगों की मौत

दिल्ली:
गुजरात के मोरबी शहर के हैंगिंग ब्रिज हादसे में मरने वालों की संख्या 141 तक पहुंच गई है. बचावकर्मी अभी भी दो लोगों की तलाश कर रहे हैं, जो लापता बताए जा रहे हैं. हालांकि, गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने अभी तक 132 मौतों की पुष्टि की है. उन्होंने पत्रकारों से कहा, माच्छू नदी में बचाव अभियान अंतिम चरण में हैं. यह जल्द ही खत्म हो जाएगा. ताजा जानकारी के अनुसार इस हादसे में 132 लोगों की जान चली गयी है तथा दो अब भी लापता हैं.

राज्य के सूचना विभाग ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के पांच दल, राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के छह दल, वायु सेना का एक दल, सेना की दो टुकड़ियां तथा भारतीय नौसेना के दो दलों के अलावा स्थानीय बचाव दल तलाश अभियान में शामिल हैं. तलाश अभियान रात से चल रहा है.

यह पुल करीब एक सदी पुराना था और मरम्मत एवं नवीनीकरण कार्य के बाद इसे आमजन के लिए पांच दिन पहले ही खोला गया था. पुल रविवार शाम करीब साढ़े छह बजे टूट गया. सांघवी ने राजधानी गांधीनगर से करीब 300 किलोमीटर दूर मोरबी में कहा कि राज्य सरकार ने पुल ढहने की घटना की जांच के लिए एक समिति गठित की है.

प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि अंग्रेज़ों के समय का यह हैंगिंग ब्रिज जिस समय टूटा, उस समय उस पर कई महिलाएं और बच्चे मौजूद थे. एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि कुछ लोगों को पुल पर कूदते और उसके बड़े तारों को खींचते हुए देखा गया. उन्होंने कहा कि हो सकता है कि पुल उस पर लोगों की भारी भीड़ के कारण टूट कर गिर गया हो.प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि जान बचाने के लिए पुल की रस्सी पर लोग लटक गए और उसी के सहारे बाहर निकलने की कोशिश करते दिखे. जब यह हादसा हुआ तो बड़ी संख्या में लोग एक-दूसरे पर गिर पड़े. कई सीधे नदी में जा गिरे तो वहीं कुछ पुल के केबल के सहारे लटके नजर आए.

एक निजी संचालक ने लगभग छह महीने तक पुल की मरम्मत का काम किया था. पुल को 26 अक्टूबर को गुजराती नववर्ष दिवस पर जनता के लिए फिर से खोला गया था. एक अधिकारी ने बताया कि मरम्मत का काम पूरा होने के बाद इसे जनता के लिए खोला गया था लेकिन स्थानीय नगर निकाय ने अभी तक कोई फिटनेस प्रमाणपत्र जारी नहीं किया था. मोरबी पुल का निर्माण साल 1880 में पूरा हुआ था. इसे मोरबी के राजा सर वाघजी ठाकुर ने बनवाया था और मुंबई के गवर्नर रह चुके रिसर्च टेम्पल ने इसका उद्घाटन किया था. 142 साल पहले इसे बनने में 3.5 लाख रुपये खर्च हुए थे. वाघजी ठाकुर ने 1922 तक मोरबी पर शासन किया था. 230 मीटर लम्बे इस पुल को दरबारगढ़ पैलेस और नज़रबाग पैलेस को आपस में जोड़ने के लिए बनाया गया था.

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