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धूम्रपान करने वालों को कोविड-19 होने का खतरा अधिक: डब्ल्यूएचओ

नई दिल्ली: जो लोग धूम्रपान नहीं करते हैं उनकी तुलना में धूम्रपान करने वालों को कोविड – 19 होने तथा उसके गंभीर हो जाने का खतरा अधिक होता है।

जिनेवा स्थित विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अध्ययन के आधार पर यह निश्कर्श निकला है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार कोविड -19 एक संक्रामक बीमारी है जो मुख्य रूप से फेफड़ों पर हमला करती है। धूम्रपान फेफड़ों की कार्यप्रणाली को बाधित करता है जिससे शरीर को कोरोना वायरस और अन्य बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। हृदय रोग, कैंसर, श्वसन रोग और मधुमेह जैसे गैर संचारी रोगों के लिए भी तम्बाकू एक प्रमुख जोखिम कारक है और इन रोगों से प्रभावित मरीज जब कोविड -19 की चपेट में आते हैं तो उनमें कोविड-19 के गंभीर रूप ले लेने का खतरा अधिक होता है। नवीनतम षोध से पता चलता है कि धूम्रपान करने वालों में गंभीर बीमारी और मृत्यु होने का अधिक खतरा होता है।

डब्ल्यूएचओ के बयान में यह भी कहा गया है कि विष्व स्वास्थ्य संगठन नियमित रूप से नए शोध पर काम कर रहा है। षोध के तहत तंबाकू और निकोटीन के सेवन तथा कोविड – 19 के बीच संबंध की समीक्षा करना भी शामिल है। विष्व स्वास्थ्य संगठन ने शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों और मीडिया सहित सभी हितधारकों से आग्रह किया कि वे वैसे दावों के प्रति सावधान रहें जिनमें कहा जा रहा है कि तंबाकू या निकोटीन कोविड -19 के जोखिम को कम कर सकता है। इस बात के बारे में अपर्यात जानकारी है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि कोविड-19 की रोकथाम या उसके उपचार में तंबाकू या निकोटीन के बीच कोई संबंध है।

विभिन्न शोध अध्ययनों से प्राप्त गैर-प्रमाणित और गैर-अनुमोदित जानकारी के विरुद्ध वैश्विक स्वास्थ्य निकाय ‘डब्ल्यूएचओ’ ने नैतिक रूप से अनुमोदित, उच्च-गुणवत्ता और व्यवस्थित अनुसंधान के महत्व पर जोर दिया है जो कि व्यक्तिगत और सार्वजनिक स्वास्थ्य को आगे बढ़ाने में योगदान देता हो। संगठन ने इस बात पर जोर दिया है कि अप्रमाणित तरीकों को अपनाने से स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है।

धूम्रपान करने वाले लोगों को विष्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सुझाए गए उपायों की मदद से धूम्रपान छोड़ने में मदद मिल सकती है। इन उपायों में धूम्रपान छोड़ने में सहायता के लिए निःषुल्क टेलीफोन परामर्ष, मोबाइल के जरिए भेजे जाने वाले परामर्ष और निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी भी षामिल है।

कोविड-19 के बिना भी धूम्रपान लोगों की जान के लिए खतरा बन सकता है। हर साल तंबाकू सेवन के कारण 80 लाख लोगों की मौत होती है। इन मौतों में से 70 लाख से अधिक मौतें तंबाकू के सीधे – सीधे सेवन करने के कारण होती है जबकि 12 लाख लोगों की मौत अन्य लोगों के बीडी-सिगरेट पीने के कारण पैदा होने वाले धुंये के कारण होती है।

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