लेख

कहीं शाहीनबाग़ न बन जाय हिजाब विवाद

तौक़ीर सिद्दीक़ी
कर्नाटक के उडुपी शहर से शुरू हुआ हिजाब विवाद अब धीरे-धीरे विस्तार लेता हुआ देशभर में फैल रहा है. कल महाराष्ट्र के मालेगांव में हज़ारों की संख्या में मुस्लिम महिलाओं ने बुर्का पहनकर कर्नाटक के मामले में विरोध प्रदर्शन किया था वहीँ आज उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में बुर्का पहनकर प्रदर्शन में शामिल हुईं महिलाओं ने हिजाब को सपोर्ट किया है. यह महिलाऐं कह रही है कि हिजाब उनका हक है.

इससे पहले गुरुवार को महाराष्ट्र के मालेगांव में हजारों मुस्लिम महिलाओं ने हिजाब को लेकर ज़ोरदार प्रदर्शन किया था. उनके हाथों प्ले कार्ड थे जिनपर ‘हिजाब हमारा अधिकार है और हिजाब पर प्रतिबंध वापस लो’ जैसे नारे लिखे हुए थे.

बताया जा रहा है कि मालेगांव में इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने किया था. पुलिस ने इस मामले में संस्था से जुड़े 4 लोगों के खिलाफ धारा 144 के उल्लंघन का केस दर्ज किया है. पुलिस के मुताबिक कार्यक्रम के लिए स्थानीय प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली गई थी.

हिजाब पर जिस विवाद पैदा किया गया और उसका भगवाकरण किया गया, मालेगांव और अलीगढ़ के प्रदर्शन उसी की प्रतिक्रिया हैं जो CAA और NRC पर शाहीनबागों की याद दिला रहे हैं. सिर्फ मालेगांव या अलीगढ़ ही नहीं देश के कई और हिस्सों में इसी तरह के विरोध प्रदर्शन हुए हैं. शाहीनबाग़ की बात इसलिए कि कर्नाटक के बाहर हिजाब विवाद पहला प्रदर्शन उसी जगह पर हुआ था जहाँ CAA-NRC को लेकर शाहीनबाग़ में महिलाओं द्वारा एक लम्बा आंदोलन छिड़ा था.

वैसे इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि हम बेहतर शिक्षा की जगह हिजाब के लिए लड़ रहे हैं और राजनीतिक पार्टियां इस निरर्थक मुद्दे को लेकर अपनी रोटियां सेंकने की कोशिश कर रही हैं. जिस तरह एक स्कूल से निकलकर यह मुद्दा अब देश के विभिन्न हिस्सों में फ़ैल रहा है वह यक़ीनन आने वाले दिनों एक बड़ा मुद्दा बन सकता। हालाँकि हर स्कूल कालेज का एक ड्रेस कोड होता और उसपर सभी को अमल करना चाहिए। कालेज के बाहर किसी को कुछ भी पहनने की आज़ादी हो सकती है मगर स्कूल-कालेज कैम्पस में अगर ड्रेस कोड है तो वह सबके लिए है. वैसे हमारे देश में गर्ल्स कालेज के भी ऑप्शन हैं, इस विवाद से बचने के लिए सबके पास यह विकल्प अपनाने का अधिकार है.

वैसे उडीपी के एक स्कूल की 6 छात्राओं की शिकायत को इतना बनाने के पीछे किसी साज़िश से इंकार नहीं किया जा सकता। इन दिनों पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव चल रहे हैं, कर्णाटक में अगले वर्ष चुनाव है. वैसे भी पूरा देश अब हर समय चुनावी मोड में रहता है इसलिए हर बात को चुनावी रंग देना आम बात होती जा रही है. इस बात के लिए हम किसे दोष दें, सरकार को, नेताओं को या खुद को? हिजाब के मुद्दे को राहुल गाँधी भले ही यह कह रहे हों कि यह असल मुद्दों से भटकाने की कोशिश है मगर भाजपा के गिरिराज इसे देश को बदनाम करने की कोशिश बता रहे हैं, इसके साथ ही वह यूनिफार्म सिविल कोड की मांग भी करते हैं. चुनावी मौसम में राहुल और गिरिराज के बयान यह बता रहे हैं कि विपक्ष जहाँ इस मुद्दे को तूल देकर भाजपा को सांप्रदायिक ध्रूवीकरण के जरिये चुनावी लाभ नहीं लेने देना चाहता वहीँ सत्ताधारी भाजपा चाहती है कि मसला मुद्दा बने.

मामला अभी कर्नाटक हाईकोर्ट की बड़ी बेंच के पास है जिसका फैसला आना बाक़ी है, वहीँ सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर फिलहाल दखल देने से इंकार कर रहा है. अदालत की ओर से फैसला आने तक हिजाब पहनने की ज़िद टालने की अपील की गयी है इसलिए कम से कम फैसला आने तक इस तरह के विरोध प्रदर्शनों का कोई औचित्य नहीं है.

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