सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई की याचिका खारिज करते हुए कहा कि चुनाव आयोग 15 मार्च को शाम 5 बजे तक वेबसाइट पर पूरा डेटा अपलोड कर दें। इसके अलावा ये भी कहा कि कल यानी मंगलवार तक एसबीआई चुनावी बॉन्ड जानकारी चुनाव आयोग को साझा करें, जिसके बाद चुनाव आयोग ये डेटा वेबसाइट पर अपलोड कर देगा। एसबीआई की ओर से मांगे जा रहे और समय पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ इनकार करते हुए अपना फैसला सुना दिया।

कोर्ट ने SBI से 12 मार्च को कामकाजी समय समाप्त होने तक चुनावी बांड के विवरण का खुलासा करने को कहा है। SBI की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बैंक को चुनाव आयोग को चुनावी बांड का विवरण जमा करने के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता है। साल्वे का कहना है कि एसबीआई की समस्या यह है कि पूरी प्रक्रिया को उलटना पड़ेगा। एसओपी (मानक ऑपरेटिंग प्रक्रिया) ने सुनिश्चित किया था कि कोर बैंकिंग सिस्टम और बांड नंबर में खरीदार का कोई नाम नहीं हो।

कोर्ट ने एसबीआई को अवमानना ​​की चेतावनी दी और कहा यदि यह कल कारोबार दिन की समाप्ति तक यह डेटा जारी करने में विफल रहता है तो कार्यवाई की जाएगी। कोर्ट ने 23 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के साथ भारत के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक को अनुपालन के बाद एक हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया।

दूसरी ओर याचिकाकर्ता जया ठाकुर ने बताया, “सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझा और एसबीआई को कल तक सभी दस्तावेज जमा करने के कड़े निर्देश दिए। यह बहुत अच्छा फैसला है, मैं इसका स्वागत करती हूं”।

इससे पहले बीते 4 मार्च को एसबीआई ने शीर्ष अदालत से समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने के लिए कहा था और उसने तर्क दिया था कि 12 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 तक जानकारी इकट्ठा करने में समय लगेगा और चूंकि चुनावी बांड की जानकारी गुप्त रखी जाती है।

इस कारण से मामले की जानकारी जुटाने में जटिलताएं आ रही हैं। बैंत के अनुसार 2019 से 2024 तक अलग-अलग राजनीतिक दलों को चंदा देने में कुल 22,217 चुनावी बांडों का उपयोग किया गया है। वहीं, एडीआर की याचिका में आरोप लगाया गया है कि एसबीआई ने 6 मार्च तक चुनावी बांड के माध्यम से राजनीतिक दलों को किए गए योगदान का विवरण चुनाव आयोग को सौंपने के सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की “जानबूझकर” अवहेलना की है।

एडीआर की ओर दायर अवमानना याचिका में कहा गया है, “याचिकाकर्ता इस अदालत द्वारा पारित 15 फरवरी के आदेश की जानबूझकर और जानबूझकर अवज्ञा करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक के खिलाफ अवमानना ​​​​कार्यवाही शुरू करने की मांग करते हुए यह याचिका दायर कर रहा है। जिसमें इस अदालत ने एसबीआई को 6 मार्च तक राजनीतिक दलों को मिले चंदे का विवरण चुनाव आयोग को सौंपने के लिए कहा था।

“मालूम हो कि बीते 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक फंडिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले चुनावी बांड योजना को “असंवैधानिक” करार दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह योजना बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार और सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एसबीआई को आदेश दिया था कि वो अप्रैल 2019 से भुनाए गए सभी चुनावी बांडों का विवरण 6 मार्च तक चुनाव आयोग को प्रदान करे और अन्य सभी बैंक आगे से कोई भी चुनावी बांड नहीं जारी करेंगे। अदालत ने अपने फैसले में कहा था, “काले धन पर अंकुश लगाना और दानदाताओं की गुमनामी सुनिश्चित करना चुनावी बांड का बचाव करने या राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता की आवश्यकता का आधार नहीं हो सकता है।”

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में चुनाव आयोग को कहा था कि वो चुनावी बांड से संबंधित एसबीआई से मिली जानकारी अपनी वेबसाइट पर साझा करेगा और जो बांड अभी तक भुनाए नहीं गए हैं, उन्हें वापस कर दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “चुनावी बांड के माध्यम से कॉर्पोरेट योगदान के बारे में जानकारी का खुलासा किया जाना चाहिए क्योंकि कंपनियों द्वारा दान पूरी तरह से बदले के उद्देश्यों के लिए है।”

भारत सरकार ने साल 2018 में गुमनाम राजनीतिक चंदे की सुविधा के लिए चुनावी बांड पेश किया था। ये चुनावी बांड एसबीआई की अधिकृत शाखाओं के माध्यम से जारी किए गए ब्याज मुक्त बांड होते हैं। बैंक में यह बांड 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, 1 लाख रुपये, 10 लाख रुपये और 1 करोड़ रुपये के गुणकों में उपलब्ध होते थे।