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सरोज खान का जाना

कोरियोग्राफर सरोज खान ने 71 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। कार्डियक अरेस्ट के कारण सरोज खान का मुंबई में रात करीब 1.52 बजे निधन हो गया। उनके निधन से फैंस के साथ-साथ बॉलीवुड कलाकारों को भी झटका लगा है। सरोज खान का मुंबई के बांद्रा स्थित गुरु नानक अस्पताल में निधन हो गया है। सरोज ख़ान को कुछ समय पहले भी गुरु नानक अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उन्हें तब सांस लेने में दिक्कत की शिकायत थी। हालांकि कुछ दिन बाद ही वो ठीक हो गई थीं और अपने घर वापस आ गई थीं। लेकिन उनकी तबीयत एक बार फिर ख़राब हुई और कार्डियक अरेस्ट की वजह से सरोज ख़ान ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। निधन के बाद सुबह सात बजे परिवार वालों ने उन्हें मलाड के कब्रिस्तान में सुपुर्दे-ए-ख़ाक किया। तीन दिन बाद प्रार्थना सभा का आयोजन करवाया जाएगा।

‘निर्मला साधु सिंह नागपाल सरोज खान ( 22 नवम्बर 1948 ) निर्मला साधु सिंह नागपाल के माता पिता भारत पाकिस्तान विभाजन के बाद बम्बई अब मुम्बई आ गए । ‘निर्मला साधु सिंह नागपाल ने नृत्य की शिक्षा मास्टर सोहनलाल से ली थी । 14 साल की उम्र मे उन्होने सोहनलाल से शादी कर ली थी। मास्टर बी सोहनलाल से उस समय के प्रसिद्ध नृत्य गुरु थे। सोहन लाल (41 साल) पहले ही शादी शुदा थे और उनके 4 बच्चे थे। 15 साल की उम्र में उन्होने अपने पहले बच्चे जो अब राजू खान के नाम से प्रसिद्ध नृत्य रचनाकार है। 1965 में वह सोहन लाल से अलग हो गयी, लेकिन उनके सहायक के रूप में काम करती रही थी। सोहन लाल और निर्मला साधु सिंह नागपाल का फिर पुनर्मिलन हुआ जब सोहन लाल को दिल का दौरा पड़ा था। ‘निर्मला साधु सिंह नागपाल ने अब एक बेटी कोयल को जन्म दिया। एक दिन सोहन लाल ‘निर्मला साधु सिंह नागपाल और उनके दो बच्चों को छोड़कर् मद्रास (चेन्नई )चले गये। उसके बाद ‘निर्मला साधु सिंह नागपाल ने सरदार रोशन खान के साथ शादी की और वे सरोज खान के नाम से जानी जाने लगी।

फिल्म मेरा साया के लिए झुमका गिरा डांस का शूट होना था। उस दिन फिल्म के डांस निर्देशक मास्टर बी सोहनलाल आये नहीं थे तब फिल्म के निर्देशक राज खोसला ने की सहायक से इस डांस शूट के लिए कहा। ‘निर्मला साधु सिंह नागपाल ने शानदार ढंग से यह ज़िम्म्मेदारी पूरी की। मेरा साया रिलीज़ हुई फिल्म और डांस की कामयाबी ‘निर्मला साधु सिंह नागपाल के हिस्से में नहीं आयी।

सरोज ने फिल्म देवदास के गाने ‘डोला रे डोला’, ‘श्रृंगारम’ के सारे गानों और ‘जब वी मेट’ के गाने ‘ये इश्क हाये’ के लिए नैशनल अवॉर्ड अपने नाम किया है। उन्हें फिल्म ‘गुरु’, ‘देवदास’, ‘हम दिल दे चुके सनम’, ‘खलनायक’, ‘बेटा’, ‘सैलाब’, ‘चालबाज’ और ‘तेजाब’ के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है। यही नहीं, 2002 में उन्हें फिल्म लगान के लिए आउटस्टैंडिंग अचीवमेंट इन फीचर फिल्म का अमैरिकन कोरियॉग्रफी अवॉर्ड भी मिल चुका है। सरोज खान ने 1974 में पहली बार गीता मेरा नाम में स्वतंत्रत रूप से नृत्य निर्देशन किया। लेकिन सफलता पाने में उन्हें कई साल लगे 1986 में प्रदर्शित नगीना ने उनकी किस्मत बदल थी।

–स्वप्निल संसार से साभार

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Tags: saroj khan

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