राजेन्द्र चौधरी

क्रांति और अध्यात्म की धरती पश्चिम बंगाल की राजधानी कलकत्ता में समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 17 से 19 मार्च 2023 को सम्पन्न हुई जिसने राजनीति और समाज को नई दिशा देने के साथ सन् 2024 में केन्द्र से भाजपा का सफाया करने का आह्वान किया है। इसके साथ समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए भी पहल कर दी है।

अपने आर्थिक राजनीतिक प्रस्ताव में समाजवादी पार्टी ने अपने बेदाग छवि के नेता श्री अखिलेश यादव के परिपक्व नेतृत्व में भाजपा की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए एकजुटता और मजबूती से बूथस्तर तक जन-जन, गांव-गांव समाजवादी सरकार की उपलब्धियों को पहुंचाने के साथ वैकल्पिक राजनीति की दिशा तय करने का भी इरादा जताया है। पार्टी ने लक्ष्य प्राप्ति के लिए पूरी निष्ठा एवं प्रतिबद्धता के साथ कोई चूक नहीं करने के साथ यह दृढ़ विश्वास जताया है कि अब इस बार छल-प्रपंच, नफरत और झूठ की राजनीति हारेगी और ‘सत्यमेव जयते‘ का ही जनउद्घोष होगा।

समाजवादी पार्टी ने किसानों के साथ हो रहे अन्याय, नौजवानों की बेरोजगारी, जातीय जनगणना, बढ़ती महंगाई, कानून व्यवस्था, आम के उत्पीड़न के मुद्दों को लेकर अपनी चुनावी रणनीति को धार देने का इरादा कर लिया है।

देश की परिस्थितियों पर विचार विमर्श के बाद समाजवादी पार्टी इस नतीजे पर पहुंची है कि भाजपा की सरकार ने देश को गहरे संकट में डाल दिया है। महंगाई बेरोजगारी और अन्याय चरम पर पहुंच गया है। केंद्र की भाजपा सरकार और उसकी राज्य सरकारें सत्ता का दुरुपयोग कर रही हैं, लोकतंत्र की हत्या कर रही हैं। भाजपा संविधान विरोधी कार्य कर रही है। भाजपा सरकार सत्ता लोलुपता में अंधी हो गई है। सत्ता में बने रहने के लिए हर तरह का अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक हथकंडा अपना रही है।

इस तथ्य को झुठलाया नहीं जा सकता है कि पिछले एक दशक में समाज, राजनीति और अर्थव्यवस्था में व्यापक बदलाव देखे गए हैं। देश में समावेशी विकास और सौहार्द को चोट पहुंची है। सहिष्णुता और धर्मनिरपेक्षता की भावना आहत हुई है। धर्म, जाति, भाषा, पंथ और संस्कृति की तमाम विविधताओं के बावजूद भारत का संविधान एक सूत्र में बांधता है और भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। लेकिन आज जो वैचारिकी आरएसएस भाजपा की ओर से फैलाई जा रही है वह हमारी अनेकता में एकता की अवधारणा को नकारती है तथा विभाजनकारी प्रवृत्तियों को बल देती है। बहुसंख्यकवाद को उभारा जा रहा है। जिस आजादी को हमने बड़े बलिदानों से हासिल किया उसके आदर्शों को भुलाने के प्रयास हो रहे हैं।

अजीब बात है कि भूख, बेकारी, शिक्षा-स्वास्थ्य के क्षेत्र में बदहाली जैसे बुनियादी मुद्दों को विमर्श का मुद्दा नहीं बनने दिया जाता है। शिक्षा के बाजारीकरण ने दलितों, पिछड़ों के बच्चों के हाथ से कलम छीन लिया है। इन मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए अप्रासंगिक मुद्दों पर गोदी मीडिया में बहसें चलाई जाती हैं। फर्जी विकास के आंकड़ों के साथ अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में भारत के दबदबे के खोखले दावों से भाजपा की हर नाकामी का बचाव किया जाता है। सहिष्णु भारतीय समाज को असहिष्णु, हिंसक और आक्रामक बनाकर सामाजिक तानाबाना छिन्नभिन्न करने की साजिशें हो रही है।

समाजवादी पार्टी डॉ0 राममनोहर लोहिया, चौधरी चरण सिंह, बाबा साहब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर और मुलायम सिंह यादव के विचारों से प्रेरणा लेकर राजनीति को जन सेवा का माध्यम मानती है। इसके अपने संविधान में भी लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की गई है। देश के किसानों, नौजवानों, वंचितों, दलितों का भविष्य बचाने के लिए भी लड़ रही है। हम व्यवस्था परिवर्तन के लिए संघर्ष करते आए हैं।

संविधान प्रदत्त आरक्षण की व्यवस्था वंचित शोषित समाज के उत्थान और उनको मुख्यधारा में लाने के लिए की गई है। इस आरक्षण कोटा को पूरा करने के बजाय नीतियों में बदलाव कर नौकरियां समाप्त करने का कुचक्र भी चल रहा है। सार्वजनिक संस्थाओं और निगमों को निजीकरण की तरफ धकेला जा रहा है। राष्ट्रीय सम्पत्तियों को निजी पूंजीघरानों को बेचा जा रहा है।

भाजपा सरकार में अन्नदाता ही सर्वाधिक अपमानित और उपेक्षित है। कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक का किसान फसल के वाजिब दाम की लड़ाई लड़ रहा है। प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2014 में किसानों की आमदनी वर्ष 2022 तक दोगुना करने का वादा किया था। किसान की न तो आमदनी दोगुनी हुई और नहीं उसे फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) ही मिला। किसान पर जबरन थोप दिये गये सरकारी तीन काले कृषि कानूनों के विरूद्ध किसानों के आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों ने अपनी जानें दी। गन्ना किसानों का उत्तर प्रदेश में 6 हजार करोड़ रूपये से ज्यादा अभी भी बकाया है। खाद, बीज, कीटनाशक दवाएं तथा कृषि में काम आने वाले उपकरण आदि सभी महंगे है। कृषि उत्पादों का आयात बढ़ रहा है। हाईब्रिड बीज को ऊंचे दामों पर खरीदने के लिए किसान मजबूर है। बिजली की महंगी दरों से किसान की लागत बढ़ रही है।

देश में बेरोजगारी चरम पर है। सरकारी आंकड़ों में रोजगार खूब बंट रहा है लेकिन जमीन पर वह कहीं दिखता नहीं है। नौजवान का भविष्य अंधेरे में है। देश की आबादी लगभग 130 करोड़ तक पहुंच चुकी है। जिसमें 85 प्रतिशत युवा हैं। भाजपा सरकार ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट के नाम पर अनाप-शनाप खर्च कर मेला तो लगा लेती है पर उसके अधिकांश एमओयू दिखावे के साबित होते है। न नए उद्योग लग रहे हैं और नहीं रोजगार का सृजन हो रहा है।

भाजपा की नफरती और विद्वेष की राजनीति का नतीजा है कि समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का योजनाबद्ध तरीके से उत्पीड़न किया जा रहा है। उन पर झूठे मुकदमें लादे जा रहे हैं। उनके घर और कॉलेज के भवनों पर बुलडोजर चलाया जा रहा हैं।

भाजपा की कुनीतियों की वजह से देश में सामाजिक-आर्थिक असमानता बहुत बढ़ी है। यह फर्क जमीन-आसमान के बीच के अंतर का है। देश में हर चार में एक भारतीय गरीब है जिनकी संख्या में और बढ़ोŸारी हो रही हैं।

भाजपा की सत्ता लोलुपता जग जाहिर है। वह हर वक्त चुनावी मोड में रहने वाली पार्टी है। लेकिन मैनपुरी उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की विशाल जीत ने भाजपा के सभी हथकंड़ों पर विराम लगाने का काम किया। भाजपा की मंशा है कि देश में लोकतांत्रिक विकल्प नहीं खड़ा हो। समाजवादी समता, स्वतंत्रता और भाईचारा की सद्भावना के साथ जब मजबूती से कहीं खड़े होते हैं तो भाजपाई हवामहल भरभरा कर गिर जाते हैं। फिर सबसे बड़ी बात तो यह है कि समाजवादियों के पास श्री अखिलेश यादव जैसा बेदाग नेतृत्व है। विकास का उनमें स्पष्ट विजन और नीतिगत दूरदर्शिता है। वे एक ऐसे परिवक्व नेता के रूप में उभर कर आए हैं जो सर्वस्वीकार्य हैं। वे एक नए नेतृत्व के रूप में पहचाने जाने लगे हैं।

समाजवादी पार्टी ने कोलकाता में संपन्न अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में यह भी तय किया है कि लोकसभा चुनाव में अपने गठबंधन के सहयोगियों का साथ लेकर उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर भाजपा को हराएगी।

समाजवादी पार्टी का मानना है कि केंद्र सरकार भाजपा के खिलाफ मजबूती से लड़ रहे राजनीतिक दलों पर प्रतिशोध के तहत ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स जैसी केंद्रीय एजेंसियों से छापे डलवा कर परेशान और छवि खराब करने का प्रयास कर रही है। देश की जनता जानती है कि जो लोग भाजपा में शामिल हो जाते हैं, भाजपा की वैक्सीन ले लेते हैं, तब वह सीबीआई और ईडी से मुक्त हो जाते हैं।

समाजवादी पार्टी ने अपने राजनीतिक प्रस्ताव में कहा है कि सन् 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी पूरी मजबूती और ताकत के साथ मैदान में उतरेगी और भाजपा के मंसूबों को परास्त करेगी। भाजपा को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाना हमारा कर्तव्य भी है। क्योंकि आज किसान, नौजवान, अल्पसंख्यक, व्यापारी, अधिवक्ता, शिक्षक, महिला, श्रमिक, छात्र आदि सभी वर्गों के लोगों में असंतोष व्याप्त है, आक्रोश है, वे फासिस्ट तौरतरीकों से देश को चलाए जाने के विरोध में है।

(लेखक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व कैबिनेट मंत्री हैं)