मो. आरिफ़ नगरामी

हिन्दुस्तान के कोहिनूर हीरा ‘‘भारत रत्न‘‘ और हमारे वतन अज़ीज़ हिन्दुस्तान जन्नत निशां के साबिक वजीरे आजम हर दिलअजीज़ और बाग़ो बहार शख्सियत के मालिक बेहद शान्दार और नफीस तरीन इन्सान अटल बिहारी बाजपेयी का कल 25 दिसम्बर को यौमे वेलादत पूरे मुल्क मेें इन्तेहाई अकीदत और एहतेराम के साथ मनाया जायेगा। इस मौके पर हुकूमत की जानिब से बहुत फलाही स्कीमों का आगाज़ किया जायेगा। साथ ही हुकूमती सतेह और इन्फ्रादी तौर पर जलसे मुन्अकिद करके अटल बिहारी बाजपेयी की पैदाईश का जश्न मनाया जायेगा और उनकी सहरअंगेज़ और वलवलाअंगेज शख्सियत पर तकारीर होंगी। साबिक वजीरे आजम अटल बिहारी बाजपेयी शायद इस मुल्क की ऐसी वाहिद शख्सियत थे जिन का अदब व एहतेराम हिन्दुस्तान का हर फर्द करता है और यही वजह है कि उनका यौमे पैदाईश भी हिन्दुस्तान मेें रहने वाला हर शख्स अबद व एहतेराम के साथ मनाता है चाहे उसका तअल्लुक जिस मज़हब से हो, या फिर जिस सियासी पार्टी से हो, बाजपेयी जी सब के थे और इस बात को उन्होंने अपने कौल व फेल से साबित भी कर दिया था।

अटल बिहारी बाजपेयी 25 दिसम्बर सन् 1924 को मध्य प्रदेश के मारूफ व मशहूर शहर ग्वालियर मेें पैदा हुये थे। उन्हांने ग्वालियर के लक्ष्मी बाई कालेज से बी0ए0 की डिग्री हासिल की। इस के बाद उन्होंने कानपुर के डी0ए0वी0 कालेज से एम0ए0 की तालीम हासिल की। इस के बाद वह सियासत में आ गये, और फिर उन्होंने पीछे मुड़ कर कभी नहीं देखा। वह तीन बार हिन्दुस्तान जैसे अजीम जम्हूरी मुल्क के वजीरे आजम रहे, और जनता पाटी्र की हुकूमत मेें वह एक कामयाब और हर दिल अज़ीज़ वजीरे खारजा बने। अटल बिहारी बाजपेयी एक मुहिब्बे वतन शायर अदीब और बेखौफ और निडर सहाफी भी थे। उनके गीतों और गज़लों की किताबें शाया हो कर मन्जरे आम पर आ चुकी है। और इसी लिये बाजपेयी की शायरों, अदीबों और खास कर सहाफियों का बडा एहतेराम किया करते थे। अटल बिहारी बाजपेयी जी का नाम आते ही एक मुकम्मल शख्सियत उभर कर सामने आ जाती है। उन्हें सभी अपना मानते और समझते थे। उन्होंने कभी भी नफरत और तएस्सुब की सियासत नहीं की । मुझे याद है कि जब गुजरात मेें बेहद खौफनाक और भयानक फसाद हुये थे उस वक्त मुल्क के मौजूदा वजीरे आजम नरेन्द्र मोदी जी गुजरात के वजीरे आला थे। फसाद के बाद जब अटल जी ने गुजरात का दौरा किया और वहां की भयानक तस्वीर देखी तो उन्होंने नरेन्द्र मोदी से कहा था कि ‘‘धर्म का पालन नहंी हुआ।‘‘ उस वक्त उन्होंने पूछा था कि हम गैर मुल्की दौरे पर जायेंगें तो दुनिया को क्या मंह दिखायेंगेें। इसी तरह 18 दिसम्बर 1971 ई0 मेें जब हिन्दुस्तान फौजों ने मशरिकी पाकिस्तान मेें पाकिस्तानी फौजों को इबरत नाक शिकश्त दी थी और पाकिस्तान के 93 हजार फौजियों को हथियार डालने पर बजबूर कर दिया था उस वक्त भी बाजपेयी जी पार्लियमेेंट में उस वक्त की वजीरे आजम इन्दिरा गांधी को दुर्गा कहते हुये कहा था कि मुल्क में सियासी तौर पर सियासी और नजरयाती एख्तेलाफ हो सकते है। मगर जब बात मुल्क की आबरू, इज्जत और हिफाजत पर आ जाती है तो सारे एख्तेलाफ फरामोश करके हम सबसे पहले हिन्दुस्तानी हाते है। वजीरे खारजा की हैसियत से बाजपेयी जही पड़ोसी मुल्क पराकिस्तान से रिश्तों को संवारने की कोशिश की और कररवाने अमन नामी बसों का काफिला लेकर पाकिस्तान गये। मगर इस के बाद भी पाकिस्तान ने अपनी फितरज नहीं बदली और वह हमारे मुल्क के खिलाफ अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आया। वजीरे खारजा की हैसियत से अटल जी ने पासपोर्ट के हुसूल मेें एक इन्केलाब बरपा कर दिया और जो पासपोर्ट दस या बारह सालों में मिलते थे वह कुछ दिनों मेें मिलने लगे। लखनऊ के मेम्बर पार्लियामेेंट की हैसियत से उन्होंने लखनऊ की तरक्क्ी मेें बहंुत अहेम किरदार अदउा किया। अटल जी ने ही लखनऊ से हज परवाजें चलवाने का बन्दोपस्त किया जिसकी वजह से रियासत उत्तर प्रदेश के आजमीने हज को बहुत आसानियां हो गयीं । इसके अलावा अटल जी ने ही लखनऊ से बराहेरास्त जद्दा के लिये हवाई परवाज शुरू कराकर उत्तर प्रदेश के अवाम को एक शान्दार तोहफा दिया।

अटल बिहारी बाजपेयी जी मेें नफरत और तएस्सुब नाम की चीज बिल्कुल नहीं थी। एक बार ज बवह वजीरे आजम के ओहदे पर फाएज थे उसी दरमियान हिन्दुसतन की आलमी शोहरतयाता शख्सियत मौलाना अबुलहसन अली मियां नदवी की तबियत नासाज हो गयी तो अटल जी उनकी एयादत के लिये देहली से लखनऊ आये थे और नदवा के मेहमानखाने में तशरीफ लेजा कर मौलाना अली मिया की एयादत की थी।

यॅॅू तो हिन्दुस्तान मेें बडे बडे सियसतदां पैदा हुये जिन्होंने मुल्क को खुशहाल और तरक्कीयाता बनाने मेें अहेम किरदार अदा किया। मगर अटल बिहारी बाजपेयी वाहिद ऐसे वजीरे आजम थे जो पूरे हिन्दुस्तान के वजीरे आजम थे वह किसी मखसूस पार्टी के वजीरे आजम नहीं थे। यही वजह है कि अटल जी को हिन्दुस्तान के 130 करोड लोग प्यार करते है। उनकी इज्जत करते है। और हर हिन्दुस्तानी के दिल मेें बाजपेयी जिन्दा है, और जिन्दा रहेेगेें।