कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण लागू किये गए लॉकडाउन का देश के रोजगार पर बेहद विपरीत असर पड़ा है। मार्च और अप्रैल के महीने में देश में 12.4 करोड़ लोगों को अपना रोजगार गंवाना पड़ा है।। इसमें बड़ा आंकड़ा ऐसे लोगों का है, जो असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं या फिर निचले स्तर पर काम करते हैं। खासतौर पर रेहड़ी-पटरी लगाने वाले, सेल्फ एंप्लॉयड और सैलरीड क्लास के लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा है। इसके बाद मई में जरूर कुछ हालात सुधरे हैं और अनुमान के मुताबिक 2.1 करोड़ लोग अपने काम पर वापस लौटे हैं। हालांकि 1 जून से लॉकडाउन खुलना शुरू हो गया है और अनलॉक-1 लागू हो गया है। ऐसे में आने वाले दिनों में रोजगार से जुड़ने वाले लोगों की संख्या में और इजाफा देखने को मिल सकता है।

हालांकि आने वाले दिनों में भी सैलरीड क्लास को नौकरी के संकट का सामना करना पड़ सकता है। CMIE डेटा के मुताबिक मार्च में 10.1 मिलियन यानी करीब 1 करोड़ लोगों को अपनी आजीविका गंवानी पड़ी। वहीं अप्रैल के महीने में 113.6 मिलियन यानी 11.3 करोड़ लोगों को अपना रोजगार खोना पड़ा है। अप्रैल के महीने की बात करें तो बिजनेस से जुड़े 2 करोड़ लोगों को रोजगार खोना पड़ा है, जबकि करीब 1.5 करोड़ सैलरीड एंप्लॉयज को जॉब लॉस का संकट झेलना पड़ा है।

सबसे बड़ा संकट छोटे कारोबारियों और दिहाड़ी मजदूरों को झेलना पड़ा है। 7.8 करोड़ दिहाड़ी मजदूरों और छोटे उद्योगों से जुड़े लोगों को अप्रैल के महीने में अपनी आजीविका के संकट का सामना करना पड़ा है। हालांकि कृषि से जुड़े क्षेत्रों में अच्छी स्थिति देखने को मिली है। अप्रैल के महीने में किसी भी किसान को आजीविका के संकट का सामना नहीं करना पड़ा है।

गौरतलब है कि कोरोना संकट के चलते छोटे उद्योगों के अलावा कॉरपोरेट सेक्टर की तमाम दिग्गज कंपनियों को भी आर्थिक संकट झेलना पड़ा है। खासतौर पर टेक स्टार्टअप्स को बड़ा संकट झेलना पड़ा है और उन्होंने बड़े पैमाने पर छंटनी भी की है। ओला, स्विगी, जोमैटो, उबर जैसी कई दिग्गज कंपनियों ने इस संकच से निपटने के लिए बड़ी संख्या में अपने कर्मचारियों की छंटनी भी की है।