तौक़ीर सिद्दीकी

तौक़ीर सिद्दीकी  विराट कोहली वनडे टीम की कप्तानी से हटाने और रोहित शर्मा को बनाने के विवाद के बीच नए कप्तान ने कहा कि कुछ तो लोग कहेंगे, लोगो का काम है कहना। इस विवाद पर पहली बार चुप्पी तोड़ते हुए रोहित ने कहा कि जब आप भारत के लिए क्रिकेट खेलते हो, तो आप पर हमेशा बहुत दबाव होता है. जब आप खेलते हो तो हमेशा लोग कुछ न कुछ कहेंगे. कोई सकारात्मक बातें करेगा, कोई नकारात्मक बातें करेगा. लेकिन मेरे लिए बतौर कप्तान नहीं बल्कि एक क्रिकेटर के रूप में ये जरूरी है कि मैं अपने काम पर ध्यान दूं, न कि लोग जो कह रहे हैं उस पर क्योंकि आप उसे कंट्रोल नहीं कर सकते.”  रोहित ने कहा कि सभी खिलाड़ियों को इसका एहसास है, टीम का हर खिलाड़ी इस बात को समझता है, कि जब हम हाई प्रोफाइल टूर्नामेंट खेलते हैं, तो बातें होती ही हैं. हमारे लिए ये जरूरी है कि हम अपने काम को समझें और ये काम है टीम के लिए मैच जीतना. जिस तरह के खेल के लिए हम जाने जाते हैं, वैसा खेलें. बाहर जो बातें होती हैं, उसके कोई मायने नहीं हैं.”      रोहित शर्मा ने कहा कि टीम के खिलाड़ी एक-दूसरे के बारे में क्या सोचते हैं, वो ज्यादा अहम हैं क्योंकि इससे ही टीम में बॉन्डिंग बनेगी और कोच राहुल द्रविड़ इसमें मदद करेंगे. रोहित ने कहा, “हमारे लिए अहम ये है कि हम एक-दूसरे के बारे में क्या सोचते हैं. मैं एक्स, वाई, जेड के बारे में क्या सोचता हूं, ये अहम है. हम खिलाड़ियों के बीच एक मजबूत संबंध बनाना चाहते हैं और इस तरह से हम ये रिश्ता बना पाएंगे. राहुल भाई भी इसमें हमारी मदद करेंगे.”  बता दें कि बीसीसीआई ने कोहली से वनडे की कप्तानी छीनी और रोहित को कप्तान बना दिया. साथ ही जिस तरह से प्रेस रिलीज में कोहली को हटाने की वजह नहीं बताई गई, उस पर लोग लगातार सवाल खड़ा कर रहे हैं. अब पिछले कई दिनों से BCCI प्रमुख इस फैसले को सही साबित करने के लिए अजीबो गरीब तर्क दे रहे हैं. पहले उन्होंने कहा कि टी 20 कप्तानी छोड़ने से मना किया था, कोहली नहीं माने इसलिए ऐसा फैसला हुआ. फिर उनका बयान आया कि एक टीम में ज़्यादा कप्तान ठीक नहीं इसलिए अलग अलग फॉर्मेट में अलग कप्तान बनाये गए, तो फिर टेस्ट टीम में रोहित को उपकप्तान बनाने का क्या लॉजिक है. और विराट कोहली इतने सालों से सभी फॉर्मेट की कप्तानी कर रहे थे तो तब इस तरह का विचार क्यों नहीं आया?   दरअसल कहानी कुछ और है, और अब अपने इस फैसले को सही साबित करने के लिए मनगढंत तर्क गढ़े जा रहे हैं. विराट कोहली से कप्तानी से हटाने और रोहित को बनाने के फैसले का कोई विरोध नहीं कर रहा है, विरोध है तो तरीके का. आप एक ऐसे खिलाडी को जिसने देश की, टीम की इतनी सेवा की हो , नाम रौशन किया हो, दुनिया की टीमों में टीम इंडिया को एक विशेष स्थान दिलाया हो, आप उसे फैसला लेने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम नहीं दे सकते। बहरहाल बोर्ड इज़ ऑलवेज राईट।

विराट कोहली वनडे टीम की कप्तानी से हटाने और रोहित शर्मा को बनाने के विवाद के बीच नए कप्तान ने कहा कि कुछ तो लोग कहेंगे, लोगो का काम है कहना। इस विवाद पर पहली बार चुप्पी तोड़ते हुए रोहित ने कहा कि जब आप भारत के लिए क्रिकेट खेलते हो, तो आप पर हमेशा बहुत दबाव होता है. जब आप खेलते हो तो हमेशा लोग कुछ न कुछ कहेंगे. कोई सकारात्मक बातें करेगा, कोई नकारात्मक बातें करेगा. लेकिन मेरे लिए बतौर कप्तान नहीं बल्कि एक क्रिकेटर के रूप में ये जरूरी है कि मैं अपने काम पर ध्यान दूं, न कि लोग जो कह रहे हैं उस पर क्योंकि आप उसे कंट्रोल नहीं कर सकते.”

रोहित ने कहा कि सभी खिलाड़ियों को इसका एहसास है, टीम का हर खिलाड़ी इस बात को समझता है, कि जब हम हाई प्रोफाइल टूर्नामेंट खेलते हैं, तो बातें होती ही हैं. हमारे लिए ये जरूरी है कि हम अपने काम को समझें और ये काम है टीम के लिए मैच जीतना. जिस तरह के खेल के लिए हम जाने जाते हैं, वैसा खेलें. बाहर जो बातें होती हैं, उसके कोई मायने नहीं हैं.”

रोहित शर्मा ने कहा कि टीम के खिलाड़ी एक-दूसरे के बारे में क्या सोचते हैं, वो ज्यादा अहम हैं क्योंकि इससे ही टीम में बॉन्डिंग बनेगी और कोच राहुल द्रविड़ इसमें मदद करेंगे. रोहित ने कहा, “हमारे लिए अहम ये है कि हम एक-दूसरे के बारे में क्या सोचते हैं. मैं एक्स, वाई, जेड के बारे में क्या सोचता हूं, ये अहम है. हम खिलाड़ियों के बीच एक मजबूत संबंध बनाना चाहते हैं और इस तरह से हम ये रिश्ता बना पाएंगे. राहुल भाई भी इसमें हमारी मदद करेंगे.”

बता दें कि बीसीसीआई ने कोहली से वनडे की कप्तानी छीनी और रोहित को कप्तान बना दिया. साथ ही जिस तरह से प्रेस रिलीज में कोहली को हटाने की वजह नहीं बताई गई, उस पर लोग लगातार सवाल खड़ा कर रहे हैं. अब पिछले कई दिनों से BCCI प्रमुख इस फैसले को सही साबित करने के लिए अजीबो गरीब तर्क दे रहे हैं. पहले उन्होंने कहा कि टी 20 कप्तानी छोड़ने से मना किया था, कोहली नहीं माने इसलिए ऐसा फैसला हुआ. फिर उनका बयान आया कि एक टीम में ज़्यादा कप्तान ठीक नहीं इसलिए अलग अलग फॉर्मेट में अलग कप्तान बनाये गए, तो फिर टेस्ट टीम में रोहित को उपकप्तान बनाने का क्या लॉजिक है. और विराट कोहली इतने सालों से सभी फॉर्मेट की कप्तानी कर रहे थे तो तब इस तरह का विचार क्यों नहीं आया?

दरअसल कहानी कुछ और है, और अब अपने इस फैसले को सही साबित करने के लिए मनगढंत तर्क गढ़े जा रहे हैं. विराट कोहली से कप्तानी से हटाने और रोहित को बनाने के फैसले का कोई विरोध नहीं कर रहा है, विरोध है तो तरीके का. आप एक ऐसे खिलाडी को जिसने देश की, टीम की इतनी सेवा की हो , नाम रौशन किया हो, दुनिया की टीमों में टीम इंडिया को एक विशेष स्थान दिलाया हो, आप उसे फैसला लेने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम नहीं दे सकते। बहरहाल बोर्ड इज़ ऑलवेज राईट।