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RBI MPC: नहीं बदलीं ब्याज दरें, रेपो रेट 4% पर बरकरार

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली 6 सदस्यों वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है. रेपो रेट 4% पर बरकरार है. MPC ने सर्वसम्मति से ये फैसला किया है. रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर बरकरार है. बता दें कि एमपीसी की मीटिंग 7 अक्टूबर से शुरू हुई थी. पहले यह मीटिंग 29 सितंबर से 1 अक्टूबर तक होने वाली थी.

इस साल अबतक दरों में 115 बेसिस प्वॉइंट की कटौती
इससे पहले अगस्त में आरबीआई एमपीसी की बैठक हुई थी, जिसमें ब्याज दरें नहीं बदली थीं. इसके पहले मई में ब्याज दरों में 40 बेसिस प्वॉइंट और मार्च में 75 बेसिस प्वॉइंट की कटौती की गई थी. इस साल अबतक दरों में 115 बेसिस प्वॉइंट की कटौती हो चुकी है. इस बार वहीं, फरवरी 2019 से अब तक MPC ने रेपो रेट में 2.50 फीसदी की बड़ी कटौती कर चुका है.सभी 6 MPC सदस्यों ने ब्याज दरें स्थिर रखने के पक्ष में वोट किया. ब्याज दरों को लेकर अकोमोडेटिव रुख बरकरार है.

रिवाइवल पर फोकस
शक्तिकांत दास ने कहा कि यह अनुमान है कि FY21 में रीयल GDP ग्रोथ में 9.5 फीसदी गिरावट आ सकती है. मॉनेटरी पॉलिसी का एलान करते हुए RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अब आरबीआई का फोकस कोविड के बाद रिवाइवल पर ज्यादा है. उनका कहना है कि हाल में आए आर्थिक आंकड़ों से अच्छे संकेत मिल रहे है. ग्लोबल इकोनॉमी में रिकवरी के मजबूत संकेत मिल रहे हैं. मैन्युफैक्चरिग, रिटेल बिक्री में कई देशों में रिकवरी दिखी है. खपत, एक्सपोर्ट में भी कई देशों में सुधार दिखा है.

अर्थव्यवस्था में तेजी की उम्मीद
शक्तिकांत दास का कहना है कि अर्थव्यवस्था में तेजी की उम्मीद बनी हुई है. हम बेहतर भविष्य के बारे में सोच रहे हैं. सभी सेक्टर में हालात बेहतर हो रहे है. ग्रोथ की उम्मीद दिखने लगी है. रबी फसलों का आउटलुक बेहतर दिख रहा है. महामारी के इस संकट अब कोविड रोकने से ज्यादा फोकस आर्थिक सुधारों पर है.

क्या होता है रेपो रेट
रेपो रेट वह दर है, जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है. बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं. रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे. जबकि रिवर्स रेपो रेट, रेपो रेट से उलट होता है. यह वह दर है, जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा पर ब्याज मिलता है. रिवर्स रेपो रेट बाजारों में लिक्विडिटी को ​कंट्रोल करने में काम आती है.

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