तौक़ीर सिद्दीक़ी

रूसी सैनिक यूक्रेन के हर शहर पर कहर बनकर टूट रहे हैं. कई भारतीय अभी भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं जहाँ से वह यूक्रेन की सीमा से बाहर निकलने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं क्योंकि भारत सरकार उन्हें यूक्रेन सीमा से बाहर आने पर ही वतन वापस लाने में सक्षम है.

यूक्रेन के सुमी शहर से आयी वीडियोज़ से पता चल रहा है कि वहां पर फंसे छात्रों को कोई मदद नहीं मिल रही है, वह हताश हैं, निराश है. उन्हें लग रहा है कि वह सब यहाँ से निकल नहीं पाएंगे और किसी रूसी मिज़ाइल का शिकार बन जायेंगे। इन्हीं बच्चों में एक बच्चा वह भी है जिसे साल 2020 में जब लॉकडाउन लगा हुआ था तब अपने बेटे को लाने के लिए उसकी माँ 1400 किलोमीटर स्कूटी चलाकर अपने बेटे को घर लेकर लेकर आई थी. इस बच्चे का नाम निजामुद्दीन अमन है जो आंध्र-प्रदेश तमिलनाडु के बॉर्डर पर फंस गया था और तब उसकी माँ रज़िया ने हिम्मत जुटाई और अपने लाल को अपने घर ले आयी.

अब रजिया का बेटा एकबार फिर मुश्किल हालात में फंसा हुआ है लेकिन इसबार देश में नहीं बल्कि विदेश में, और भी युद्ध की विभीषिका से जूझ रहे देश यूक्रेन में . निजामुद्दीन यूक्रेन के सूमी स्टेट यूनिवर्सिटी में एबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है. रजिया दिन-रात बेटे की सलामती की दुआ मांग रही है और प्रधानमंत्री मोदी से मदद की गुहार लगा रही है. रज़िया इसबार स्कूटी चलाकर यूक्रेन नहीं जा सकती क्योंकि वहां तो भारत का कोई मंत्री भी नहीं जा पा रहा है. प्रधानमंत्री मोदी जी के निर्देश पर चार मंत्री यूक्रेन की सीमाओं से लगे देशों में तो गए हैं लेकिन असली समस्या तो यूक्रेन से बाहर निकलने की ही है, सीमा पार करने वाले तो स्वयं ही वापस देश लौट सकते हैं और ऐसा बहुत से छात्र कह भी रहे हैं जो देश लौट आ पाए हैं. यह सभी छात्र कह रहे हैं कि समस्या तो यूक्रेन में है, यूक्रेन से बाहर नहीं और भारत सरकार सिर्फ सीमा पार करने वालों की मदद कर पा रही है, इस बात को लेकर इन छात्रों में बड़ा गुस्सा है. यह सभी छात्र भारतीय दूतावास की हरकतों से बेहद नाराज़ हैं, ऐसे भी वीडियोज़ वायरल हुए हैं जिनमें यह छात्र आरोप लगा रहे हैं कि उनको टायलेट की सफाई तक करने को मजबूर किया गया.

विदेश मंत्रालय के अनुसार कीव और खारकीव से सभी भारतीय नागरिकों को बाहर निकाल लिया गया है लेकिन सुमी शहर में फंसे छात्रों की बात वह भी स्वीकार कर रहे हैं. सुमी शहर के हालात बहुत खराब हैं, माइनस डिग्री टेम्परेचर है, छात्रों के पास से खाने पीने का सामान ख़त्म हो चूका है. रज़िया के लाल की तरह दूसरी माओं के लाल भी लाइफ के सर्वाइवल की लड़ाई लड़ रहे हैं, इन्हें भारत वापस लाना मोदी सरकार का परम कर्तव्य है. वैसे यूपी विधानसभा चुनाव का प्रचार अब ख़त्म हो चूका है, प्रधानमंत्री जी भी बनारस से वापस दिल्ली पहुँच गए हैं और सुना है हाई लेवल मीटिंगे करने लगे हैं. उम्मीद करते हैं कि यूक्रेन में बाकी बच्चे भी अपने परिवार से जल्द ही मिलेंगे तब तक माँ की दुआएं यूक्रेन में उनकी हिफाज़त करेंगी.