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राजस्थान या गुजरात, किसके सिर सजेगा आईपीएल का ताज

स्पोर्ट्स डेस्क
दो महीने के रोमांच के बाद इंडियन प्रीमियर लीग के 15वें सीजन का अंत नज़दीक आ गया है. अंतिम संग्राम के लिए दो टीमें तय हो गई हैं जो मोटेरा स्टेडियम में खिताबी महामुकाबला करेंगी. इस मुकाबले पर पूरी दुनिया की नजरें होंगी. आईपीएल खिताब के लिए आखिरी तिलिस्म तोड़ने की दहलीज पर खड़ी गुजरात टाइटंस और राजस्थान रॉयल्स के लिए इस मैच में बहुत कुछ दाव पर लगा है.

2008 में आईपीएल के पहले सफर में सुनहरी शुरुआत करने वाले राजस्थान रॉयल्स एक बार फिर इतिहास को दोहराना चाहेंगे तो दिग्गजों को जमींदोज करके अपने पहले ही सफर में सिरमौर बनी गुजरात टाइटंस कामयाबी का नया इतिहास रचने की फिराक में होगी.

दो महीने पहले जब आईपीएल का मौजूदा सत्र शुरू हुआ था तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि फाइनल के टॉस के लिये संजू सैमसन और हार्दिक पंड्या मैदान पर उतरेंगे. अपने करियर में कई उतार चढ़ाव देख चुके हार्दिक और मुख्य कोच आशीष नेहरा के लिए दो महीने का यह सफर सपने सरीखा रहा. नीलामी के बाद इस टीम को परखे बिना ही दौड़ से बाहर मान लेने वाले क्रिकेट पंडितों से लेकर आलोचकों तक सभी को अपने प्रदर्शन से इन्होंने जवाब दिया है.

वन मैच वंडर कहे जा रहे राहुल तेवतिया और लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाने वाले डेविड मिलर जैसे खिलाड़ियों की यह टीम कागजों पर उतनी मजबूत नहीं लग रही थी, लेकिन फिर क्रिकेट तो अनिश्चितताओं का ही खेल है जिसमें मैदान पर ही तकदीर बनती और बिगड़ती है. फिट होकर फॉर्म में लौटे हार्दिक ने बतौर कप्तान अपना लोहा मनवाया है. कप्तानी का दबाव लिए बिना बल्लेबाजी में भी वह चमके हैं. दूसरी ओर पांच बरस से अपनी लय हासिल करने को तरस रहे मिलर ने सभी को चौंका दिया है. तेवतिया ने साबित कर दिया कि शारजाह में जड़े पांच छक्के महज तुक्का नहीं थे.

राशिद खान ने अपनी तरकश में कई नए तीर रखे हैं तो ऋद्धिमान साहा ने अपने प्रदर्शन से कम से कम एक सत्र और खेलना पक्का कर लिया. गुजरात कभी भी क्रिकेट के जुनून के लिए मशहूर नहीं रहा है. इस राज्य से पार्थिव पटेल और जसप्रीत बुमराह जैसे खिलाड़ी निकले हैं लेकिन जिस तरह चेन्नई सुपर किंग्स की कामयाबी के बाद तमिलनाडु पर क्रिकेट की दीवानगी सिर चढ़कर बोलने लगी, वह हाल अब गुजरात का है. खचाखच भरे मोटेरा स्टेडियम पर अपने घरेलू दर्शकों के सामने खेलने का फायदा भी गुजरात को मिला.

दूसरी ओर राजस्थान ऐसे सितारे के लिए खिताब जीतना चाहेगी तो आसमान से कहीं अपनी इस टीम को निहार रहा होगा. आईपीएल का पहला खिताब सितारों के बिना एक युवा टीम को दिलाने वाले शेन वॉर्न राजस्थान रॉयल्स के प्रदर्शन पर जरूर गौरवान्वित होते. प्रतिभा की बात करें तो संजू और हार्दिक के बीच ज्यादा अंतर नहीं है। संजू उन बिरले खिलाड़ियों में से है जो भारत के लिए 20 मैच भी नहीं खेले हैं लेकिन उनकी लोकप्रियता कमाल की है. कप्तानी में कामयाबी के साथ उनकी प्रतिभा और परवान चढ़ी है.

उनके पास रविचंद्रन अश्विन, युजवेंद्र चहल, जॉस बटलर, ट्रेंट बोल्ट जैसे दिग्गज तो यशस्वी जायसवाल और प्रसिद्ध कृष्णा जैसे युवा खिलाड़ी हैं लेकिन संजू ने सभी के साथ अच्छा तालमेल बिठाकर टीम को यहां तक पहुंचाया है. इस मैच से नायक भी निकलेंगे, दिल भी टूटेंगे और कीर्तिमान भी बनेंगे लेकिन यह मुकाबला ऐसा होगा जिसे क्रिकेटप्रेमी बरसों तक याद रखेंगे.

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