नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के बीच सुभाष चंद्र बोस की विरासत को लेकर राजनीतिक लड़ाई मच गई। शनिवार को नेताजी के 125वीं जयंती पर राजनीतिक फायदा लेने के लिए राज्य भर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था।

23 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि दी और कहा कि इस दिन को ‘पराक्रम दिवस’ या ‘वीरता के दिन’ के रूप में मनाया जाएगा। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने साल भर चलने वाले कार्यक्रमों की योजना बनाने के लिए एक समिति भी बनाई है।

वहीं बोस की ऐतिहासिक विरासत को फिर से जगाने की इस योजना को टीएमसी और वाम दलों सहित विपक्षी पार्टी द्वारा भाजपा की विधानसभा चुनाव के लिए खेली गई एक चाल के रूप में देखा गया।

भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) के कर्नल प्रेम सहगल और कैप्टन लक्ष्मी सहगल की बेटी सुभाषिनी अली का कहना है कि भाजपा की हिंदुत्व विचारधारा के साथ नेताजी को उचित ठहराना देशभक्ति का मूलमंत्र मानने का असफल प्रयास है।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भारतीय राष्ट्रीय सेना में शामिल कैप्टन लक्ष्मी सहगल ने आईएनए की ‘झांसी रेजिमेंट की रानी’ की कमान संभाली थी और स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) सीपीआई (एम) के पोलित ब्यूरो सदस्य, सुभाषिनी अली का कहना है कि भाजपा बंगाल विधानसभा चुनाव में अपनी संभावनाओं को बेहतर बनाने और नेहरू को गिराने के लिए बोस का उपयोग करने की कोशिश कर रही है।