टीम इंस्टेंटखबर
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रेस को जारी अपने बयान में कहा है कि इन दिनों गर्मी बुरी तरह झुलसा रही है, बिजली रूला रही है पर इस सबसे बेपरवाह भाजपा सरकार अपने ही महोत्सवों में व्यस्त है। दिखाने को मंत्री बदल गए पर बिजली विभाग के कामकाज में कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। जनता त्राहि-त्राहि कर रही है परन्तु विभाग की चाल बेढंगी जो पहले थी वह अब भी है।

बिजली व्यवस्था बेपटरी होने से जहां गांव, कस्बों और शहरों में जनजीवन अस्तव्यस्त है, वही उद्योगधंधे भी प्रभावित हो रहे हैं। कई इलाकों में जल संकट से हालात ज्यादा बिगड़ गए है। कई जगह नागरिकों और बिजली कर्मियों में मारपीट तक हो गई है।

ऐसा नहीं कि प्रदेश की जनता जिन संकटों से गुजर रही है उसके बारे में भाजपा सरकार को पहले से पता नहीं था। मौसम वैज्ञानिकों ने पहले ही चेतावनी दे दी थी कि इस वर्ष गर्मी का ताप बहुत बढ़ेगा। गर्मी बढ़ने के साथ पानी-बिजली संकट बढ़ने का अंदेशा होने पर भी उसका समाधान न होना भाजपा सरकार की लापरवाही उजागर करता है। सरकार द्वारा थोथे बयानों और दिखावटी निरीक्षणों के बल पर जनता को गुमराह किया जा रहा है।

यह तो स्वाभाविक है कि गर्मी की झुलसन में बिजली की मांग में इजाफा होगा लेकिन भाजपा सरकार ने कोई व्यवस्था नहीं की। मांग और आपूर्ति के बढ़ते अन्तर के बावजूद भाजपा सरकार ने लोगों को जानबूझकर आग में तपने के लिए लोगों को छोड़ दिया। यह स्थिति असंवेदनशील है

जनता सबसे ज्यादा अघोषित बिजली कटौती से परेशान है। गांवों-कस्बों में 2-3 घंटों तक बिजली की आवाजाही रुलाती है। जब-तब ट्रांसफार्मर फुंक रहे हैं। इनकी चपेट में आकर आसपास की दुकानें, घर भी नहीं बच रहे हैं। बिजली की बहाली, ट्रांसफार्मरों की बदली में देरी से कई स्थानों पर हंगामे की स्थिति पैदा हो जाती है।

भाजपा सरकार की प्रशासनिक अकुशलता, अदूरदर्शिता के चलते प्रदेश को बिजली संकट से गुजरना पड़ा है। इसका कुप्रभाव औद्योगिक उत्पादन पर भी पड़ रहा है। खासकर मध्यम और लघु उद्योग तो बंद होने के कगार पर है। इससे बेरोजगारी बढ़ने के भी आसार हैं। भाजपा सरकार में एक यूनिट बिजली का उत्पादन नहीं हुआ। मुख्यमंत्री जी के पास गवर्नेंस का कोई विजन न होने से स्थिति संभल नहीं रही है। हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं।

समाजवादी सरकार में बिजली संकट दूर करने के लिए बड़े पैमाने पर कदम उठाए गए थे। भूमिगत केबिल बिछाने के साथ बिजली हानि रोकने के लिए कदम उठाए गए थे। नए विद्युत केन्द्र निर्मित किए गए थे। समय से बिजली की आपूर्ति की व्यवस्था की गई थी। समाजवादी सरकार में उत्तर प्रदेश जहां रोशनी से जगमगाता था वहीं भाजपा सरकार में चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा है।