टीम इंस्टेंटखबर
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड हिजाब मसले पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को अब सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करेगा, इसके साथ ही बोर्ड ने मुसलमानों से इस मसले पर सब्र से काम लेने और कानून अपने हाथ में न लेने की अपील की.

बोर्ड ने 14 मार्च को लीगल कमेटी की हुई मीटिंग में हिजाब पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले का जायज़ा लिया जिसमें पाया गया कि फैसला लेते समय अदालत ने कई बातों को अनदेखा किया और इसमें कई कमियां हैं.

बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी द्वारा जारी बयान में कहा गया कि लीगल कमिटी के मुताबिक अदालत के फैसले में व्यक्ति की आज़ादी को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया गया है, इसके अलावा इस्लाम में किस काम को करना है और किस काम को नहीं, इस बारे में अदालत ने अपनी राय से फैसला देने की कोशिश की है हालाँकि किसी भी कानून को परिभाषित करने का अधिकार उस कानून के विशेषज्ञों का होता है इसलिए शरीयत के कानून का अगर कोई मसला हो तो उसमें ओलेमा की राय को अहमियत हासिल होगी, लेकिन फैसले में इस पक्ष को सामने नहीं रखा गया है, इसलिए अदालत के इस फैसले में सही न्याय नहीं हो सका जिसकी वजह से इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करना ज़रूरी हो गया है.

बयान में यह भी कहा गया कि मुसलमानों को अब लगने लगा है कि अदालतें भी अब शरई और मज़हबी मामलों में भेदभाव वाली मानसिकता का शिकार होती जा रही हैं और अक्सर संवैधानिक संरक्षण की मनमानी परिभाषा करती हैं.

बोर्ड ने इसके साथ ही धर्म गुरुओं, शिक्षाविदों और मुस्लिम इंटेलेचुअल्स से अपील की है कि वह ज़्यादा से ज़्यादा गर्ल्स स्कूल और कालेज खोलने पर ज़ोर दें, नैतिक मूल्यों के साथ इस्लामी माहौल स्थापित करने का इंतज़ाम करें, लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दें, जिस राज्य में स्कार्फ़ पर पाबन्दी लगे वहाँ कानून के दायरे में रहकर ज़ोरदार विरोध करें।