लखनऊ

पवन भाई, राम भक्त पवन पुत्र से मरीजों के लिए पवन (ऑक्सीजन) मयस्सर करवा दीजिएगा !

पवन भाई बताइए कहां से शुरू करें ! बहुत सारी बाते हैं इसलिए इंट्रो नहीं बन रहा है। कौन सी खबर किस तरह लिखी जाए और वो कितनी बड़ी हो आप ये तय करते थे। अकसर अंगूठे और उंगली के इशारे से करीबी पत्रकार मित्रों से कहते थे- “बस सिंगल।

लेकिन पवन भाई आज लम्बा लिखुंगा। अंतेष्टि में भी नहीं जा सकता। इसी तरह आपको श्रद्धांजलि दूंगा। याद कीजिए सुधा शुक्ला जी, संतोष वालमीकि जी, राजवीर रतन जी, शबाहत हुसैन विजेता जी, रजनीश वैश्य जी,अविरल जी, खुर्रम निज़ामी जी और मेरी… फील्ड रिपोर्टिंग के दौर में पान से सुर्ख मुस्कुराते हुए चेहरे और धनी कलम के मालिक आप सबसे हैंडसम थे।

खबर को लेकर किसी ने मुझे धमकी दी तो आपने उसे फौरन माफी मांगने पर मजबूर कर दिया था। और फिर टोली मे रहने वाले हम दस-बारह पत्रकार साथियों को लेकर आपने एक पत्रकार संगठन भी गठित किया था।

खै़र ये बातें पुरानी है। नई बात ये है कि ऊपर जाकर हमारे पवन भाई को भारत में पवन(ऑक्सीजन)मयस्सर होने की प्रार्थना करनी होगी। आपके पड़ोसी वहीद भाई ने बताया था कि आपको भी आक्सीजन के लिए खूब तड़पना पड़ा था।

आज राम नवमी है। भगवान राम की जयंती। पवन पुत्र मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम के सबसे बड़े भक्त थे। ये पवन भी राम और पवन पुत्र का भक्त था। श्री राम से प्रार्थना कीजिएगा कि भारत में ऑक्सीजन की कमी खत्म हो। इस महामारी में दुनियाभर में लोग मर रहे हैं। महामारी बहाना है। मृत्यु शास्वत है। सभी को बारी-बारी जाना है। लेकिन भारत में आक्सीजन की कमी अखर रही है। यहां आक्सीजन की हाहाकार मौत की तकलीफ और सदमें को बढ़ा रही है।

मैंने आपसे ज़िद की थी-उ.प्र.संवाददाता समिति में सदस्य के लिए चुनाव लड़िए। आपने बहुत मुश्किल से मेरी ये ज़िद मान ली थी। मैंने कहा था कि खाटी पत्रकारों का समिति में भागीदारी से परहेज करना गलत है। आप जैसों को आना होगा। मुझे पता है कि आप भ्रामक प्रचार नहीं कर सकते इसलिए बड़े पद पर लड़ने के लिए नहीं कह रहा हूं। सदस्य के लिए परचा भर दीजिए। आप पुराने है पुराने लोग बिना मांगे आपको जीतने भर का वोट खुदबखुद दे देंगे। मेरी बात सत्य हुई। अब एक और आग्रह- ऑक्सीजन की समस्या खत्म हो,

श्री राम और पवन पु्त्र से कहिएगा कि भारत में आक्सीजन की क़िल्लत दूर कर दें !

मुझे पत्रकारों के मनहूस चुनाव की बातें याद आ रही हैं। चुनाव के दो दिन पहले रात 11 बजे मैं हेमंत मैथिल जी और संजय चोबे जी के साथ था। आपका फोन आया- नवेद ये क्या पागलपन है। अभी फेसबुक देखा। तुमने पोस्ट लिखा है कि “मुझे हरा दो”। मैं हंसा तो वो और गुस्साए-हंसो मत। इसका निगेटिव प्रभाव जा रहा है। इसमें तुम्हारा घमंड, मतदाओं को चुनौती या कुंठा नज़र आ रही है।

सॉरी पवन भाई, आपके मना करने के बाद भी मैंने खुद को हराने की कम्पेन जारी रखी, और और मैं हार भी गया। लेकिन आपने ज़िन्दगी से हार स्वीकार कर मुझे बहुत कमज़ोर कर दिया है।

अलविदा भाई
श्रद्धांजलि

  • नवेद.शिकोह
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Tags: pawan

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