टीम इंस्टेंटखबर
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ 2.0 सरकार का पहला बजट विधानसभा में पेश किया गया है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने अपनी सरकार का बजट आज पेश किया। ये बजट यूपी का अब तक का सबसे बड़ा बजट माना जा रहा है। बता दे कि योगी सरकार ने इस बार 6.15 लाख करोड़ से अधिक का बजट पेश किया है।

वहीं बजट पर बात करते हुए नेता विरोधी दल अखिलेश यादव ने कहा कि क्या किसानों की आय दोगुनी हो गई? । बजट आने से गांव में उदासी है और बजट से लोगों में नाराजगी है। युवाओं ने सोचा था रोजगार मिलेगा लेकिन नौकरी और रोजगार सिर्फ आंकड़ों में है।

उन्होंने आगे कहा कि महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। और सरकार गरीबों के लिए योजना नहीं बना पा रही है। साथ ही सरकार ने गरीबों से किया वादा भी पूरा नहीं किया। क्या सरकार मुफ्त राशन योजना चलाएगी ?। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बच्चों को किताबें नहीं दी जा रही हैं और सरकार का ये बजट सिर्फ आंकड़ों का मकड़जाल है।

वहीँ कांग्रेस पार्टी के नेता प्रमोद तिवारी और कांग्रेस विधानमण्डल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने यूपी के बजट को जनता के साथ सरकार का छल और धोखा करार दिया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की बीमारी यूपी के बजट में समा गयी है। अब तक केंद्र सरकार का बजट हवा हवाई घोषणाओं पर आधारित होता था। अब यूपी सरकार ने भी दिल्ली सरकार की राह पकड़ ली है। जब सरकार अपने ही संकल्प पत्र के वायदों को शत.प्रतिशत पूरा नहीं कर रही तो इससे बड़ा छलावा जनता के साथ और क्या हो सकता है। सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र में 130 संकल्प पूरा करने की बात की थी। बजट में इसमें केवल 97 को ही पूरा करने की बात कही है। बजट में गरीबए महिलाए युवाए बेरोजगारए किसानए दिव्यांगए निराश्रित वर्गए बुजुर्ग के लिए ऐसा कुछ भी नहीं है जो उनके लिए खुशी ला सके। खासकर महिलाओं के लिए कुछ क्षेत्रों में आरक्षण देने की बात थी पर बजट में वह भी गायब है। बजट से यूपी की जनता ना केवल निराश है बल्कि सरकार के ऊपर से भरोसा उठ गया है।

यूपी के बजट पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि एक दिशाविहीन सरकार का ये अब तक का सबसे निराशाजनक बजट है। जनता को सबसे अधिक अपेक्षाएं स्वास्थ्यए शिक्षाए बिजलीए कानून व्यवस्थाए सड़क और नागरिक सुविधाओं से जुड़ी होती हैं। पर बजट में किसी भी क्षेत्र में ऐसा नजर नहीं आ रहा जो जनता की उम्मीदों पर खरा उतरे। मोना मिश्रा ने कहा कि इंवेस्टर्स समिट और ग्राउंड बेक्रिंग सेरेमनी केवल उद्योगपतियों की पिकनिक बनकर रह गया है। सरकार कहती है कि तीन करोड़ रोजगार या स्वरोजगार दिए गए और तीन लाख करोड़ का निवेश आया। पर ये रोजगार कहां दिए गए। सबकुछ अदृश्य सा है।