उत्तर प्रदेश

बेइज्जत होकर खामोश हो जाना कोई मुसलमानों से सीखे: महमूद मदनी

टीम इंस्टेंटखबर
उत्तर प्रदेश के देवबंद में आज जमीयत उलेमा-ए-हिंद के दो दिवसीय जलसे के पहले दिन इस्लामोफोबिया के खिलाफ लामबंद होने पर सहमति बनी, इसके आलावा जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सकारात्मक संदेश देने के लिए धर्म संसद की तर्ज पर 1000 जगह सद्भावना संसद के आयोजन का ऐलान किया.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख महमूद असद मदनी ने कहा कि बेइज्जत होकर खामोश हो जाना कोई मुसलमानों से सीखे. हम तकलीफ बर्दाश्त कर लेंगे लेकिन देश का नाम खराब नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि अगर जमीयत उलेमा शांति को बढ़ावा देने और दर्द, नफरत सहन करने का फैसला करते हैं तो ये हमारी कमजोरी नहीं, ताकत है.

उन्होंने कहा कि हमें हमारे ही देश में अजनबी बना दिया गया. महमूद असद मदनी ने अखंड भारत की बात पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि किस अखंड भारत की बात करते हैं? मुसलमानो के लिए आज राह चलना मुश्किल कर दिया है. ये सब्र का इम्तेहान है.

इससे पहले, इस्लामोफोबिया को लेकर भी प्रस्ताव भी पेश किया गया. इस प्रस्ताव में इस्लामोफोबिया और मुस्लिमों के खिलाफ उकसावे की बढ़ती घटनाओं का जिक्र किया गया है. प्रस्ताव में कहा गया है कि ‘इस्लामोफोबिया’ सिर्फ धर्म के नाम पर शत्रुता नहीं, इस्लाम के खिलाफ भय और नफरत को दिल और दिमाग पर हावी करने की मुहिम है. ये मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ एक प्रयास है. इसके कारण आज देश को धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक अतिवाद का सामना करना पड़ रहा है.

जमीयत की ओर से ये भी आरोप लगाया गया है कि देश पहले कभी इतना प्रभावित नहीं हुआ था जितना अब हो रहा है. आज देश की सत्ता ऐसे लोगों के हाथों में आ गई है जो देश की सदियों पुरानी भाईचारे की पहचान को बदल देना चाहते हैं. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी पर नाम लिए बगैर हमला बोलते हुए जमीयत ने कहा है कि उनके लिए हमारी साझी विरासत और सामाजिक मूल्यों का कोई महत्व नहीं है. उनको बस अपनी सत्ता ही प्यारी है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने हालात पर चिंता जाहिर की है.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के जलसे में धर्मगुरुओं ने कहा कि 2017 में प्रकाशित लॉ कमीशन की 267 वीं रिपोर्ट में हिंसा के लिए उकसाने वालों के लिए कानून बनाने की सिफारिश की गई थी. इस कानून में सजा दिलाने का प्रावधान हो और सभी कमजोर वर्गों के लिए, खासकर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को सामाजिक और आर्थिक रूप से अलग-थलग करने के प्रयासों पर रोक लगाई जाए. मुस्लिम धर्मगुरुओं ने लॉ कमीशन की इस सिफारिश पर तुरंत कदम उठाने को जरूरी बताया है.

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