स्टार एक्टिविस्ट सिद्धार्थ नारायण का करिश्मा, दस महीने में दस रूपये की RTI से खोज निकाली सौ करोड़ से ज़्यादा की पुश्तैनी जायदाद

तौक़ीर सिद्दीक़ी
लखनऊ: 12 अक्टूबर 2005 को देश को सूचना के अधिकार के रूप RTI की शक्ति मिली और इसी शक्ति की बदौलत 21 अक्टूबर 2019 को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में स्थित ओएल रियासत को 93 साल बाद सरकारी बस्तों में खो चुके अपने एक महल के दस्तावेज़ प्राप्त हुए, जिसकी कीमत एक अरब रूपये से ज़्यादा की बताई जा रही है| आप ऐसे भी कह सकते हैं कि एक RTI ने दस रूपये को एक अरब रूपये बना दिया| और यह सब RTI के जेठमलानी कहे जाने वाले स्टार एक्टिविस्ट सिद्धार्थ नारायण के कारण संभव हो सका जिन्होंने सिर्फ दस महीने वह करिश्मा कर दिखाया जो कई वर्षों से लाखों जतन करने के बाद कोई नहीं दिखा सका|

आज इसी सिलसिले में लखनऊ में ओएल हाउस में एक पत्रकार वार्ता आयोजित की गयी जिसमें इस विरासती संपत्ति के खोने और पाने की पूरी दास्तान बयान की गयी|

दरअसल वर्ष 1928 में ओयल रियासत जनपद खीरी के तत्कालीन राजा युवराज दत्त सिंह ने अपने महल को उस समय के डिप्टी कलेक्टर को 30 वर्षों के लिये किराये पर दिया था। हिन्दुस्तान के आजाद हो जाने के बाद ये किरायेदारी पुनः 30 वर्षों के लिये बढ़ा दी गयी थी। राजा युवराज की मृत्यु वर्ष 1984 में हो गयी। उनकी मौत के बाद ओयल परिवार ने अपने पुश्तैनी महल के अभिलेखों की छानबीन शुरू की। कई वर्षों तक उपरोक्त अभिलेख को ढूढ़ने का सिलसिला चलता रहा, अन्ततः पूरे प्रकरण को अपने कब्जे में लेते हुए राजा युवराज दत्त सिंह के पोते कुँवर प्रद्युम्न नारायण दत्त सिंह ने स्टार आरटीआई एक्टीविस्ट सिद्धार्थ नारायण को अपनी पुश्तैनी सम्पत्ति की समस्या समझायी।

सिद्धार्थ नारायण ने राज परिवार से सम्पत्ति के मूल अभिलेख खोजने के लिए दो साल का समय माँगा । इस क्रम में चार आरटीआई याचिकायें जिलाधिकारी कार्यालय, मण्डलायुक्त कार्यालय, वित्त विभाग एवं राजस्व परिषद को पार्टी बनाते हुए सूचना मांगी गयी। सारी आरटीआई धारा .6 (3) के अन्तर्गत जिलाधिकारी कार्यालय जनपद लखीमपुर खीरी को स्थानान्तरित कर दी गयी। सारी याचिकायें 28 अगस्त 2019 को दायर की गयी थी और 27 मार्च, 2020 को लिखित सूचना प्राप्त हुई कि राजा युवराज दत्त सिंह के द्वारा सम्पादित मूल अभिलेख उनके पोते कुंवर प्रद्युम्न नारायण दत्त सिंह को आरटीआई के तहत प्राप्त हुए। साथ ही यह भी साबित हुआ कि उपरोक्त सम्पत्ति का खाता सं0.5 एवं खसरा सं0.359 है। यह मूल खसरा संख्या है।

यह भारत का प्रथम ऐसा आरटीआई का केस है जिसमें 10 महीने की समय.सीमा एवं 10.रूपये के शुल्क में एक अरब की सम्पत्ति का स्वामित्व सिद्ध हुआ है।

इस पूरे प्रकरण पर बात करते हुए राजा विष्णु नारायण दत्त सिंह ने खोई हुई विरासत को पाने पर पूरे परिवार की ओर ख़ुशी का इज़हार किया और इस पूरे मामले में सरकार, प्रशासन और स्टार आरटीआई एक्टीविस्ट सिद्धार्थ नारायण का विशेष रूप से शुक्रिया अदा किया| उन्होंने कहा सिद्धार्थ नारायण सच में RTI के राजा हैं, उन्होंने यह भी बताया कि उनका इस विरासत को क़ब्ज़े में लेने की कोई मंशा नहीं बल्कि राज परिवार इस संपत्ति की लीज़ का रिनिवल करेगा|

पत्रकार वार्ता में राजा विष्णु नारायण दत्त सिंह के अतिरिक्त कुंवर हरी नारायण दत्त सिंह, कुंवर प्रद्युम्न नारायण सिंह और सिद्धार्थ नारायण ने सम्बोधित किया|