लखनऊ: योगी सरकार द्वारा आज पेश किए गए बजट में किसानों को मुफ़्त पानी देने का वादा केवल दिखावा मात्र है क्योंकि इसका लाभ प्रदेश की कुल सिंचित भूमि के केवल 18 % नहरों से सिंचित भाग को ही मिलेगा, शेष 82% को नहीं। इसी प्रकार किसानों की कर्ज माफी के लिए आवंटित धनराशि केवल 36000 करोड़ है जो कि प्रदेश की किसानों की 2.38 करोड़ संख्या के सम्मुख बहुत कम है तथा एक जिले के लिए 48 करोड़ बनती है। इसके इलावा मुख्यमंत्री कृषक बीमा योजना एवं रियायती दरों पर किसानों को फ़सली ऋण के लिए अनुदान आदि पुरानी योजनाएं हैं। इस प्रकार इस बजट में किसानों के कल्याण के लिए नाम मात्र मुफ़्त पानी को छोड़ कर कुछ भी नया नहीं है।

इसी प्रकार बजट में कोरोना महामारी के कारण तबाह हुए उद्योग एवं रोजगार के लिए दिया गया बजट ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। उदाहरण के लिए सूक्षम, लघु एवं मध्यम उद्योग के लिए 250 करोड़ रखा गया जो एक जिले के लिए मात्र 3.3 करोड़ ही बनता है। युवाओं के लिए मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत केवल 100 करोड़ का प्रावधान है जोकि एक जिले के हिस्से में केवल 1.3 करोड़ आता है जबकि प्रदेश में पंजीकृत बेरोजगारों कि संख्या 34 लाख से अधिक है। इसी प्रकार योगी सरकार द्वारा शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के पारंपरिक कारीगरों के लिए विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना में प्रावधानित 30 करोड़ में से एक जिले के लिए केवल 40 लाख आता है जिससे से कितने कारीगरों का कल्याण संभव है।

योगी सरकार के सदन में आज प्रस्तुत किए गए बजट पर टिप्पणी करते हुए एस आर दारापुरी , राष्ट्रीय प्रवक्ता, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट ने टिप्पणी कहा है कि योगी सरकार का बजट युवा, किसान, मजदूर एवं आम आदमी विरोधी है क्योंकि इनमें किया गया बजट प्रावधान एक दम अपर्याप्त है।