ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने समलैंगिकता और समलैंगिक शादी को धर्म और नैतिकता के खिलाफ बताया है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के हलफनामे का समर्थन करते हुए बोर्ड का कहना है कि समलैंगिक शादी को भारतीय समाज किसी भी हालत में स्वीकार नहीं करेगा।
बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक शादी से संबंधित दायर याचिका में ऐसी शादियों को कानूनी मान्यता देने की मांग की गई है। यह मांग किसी धर्म के लिए स्वीकार्य नहीं है और ना ही कोई धर्म व समाज इसे स्वीकार कर सकता है। उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार का सुप्रीम कोर्ट में याचिका का विरोध करने पर स्वागत किया है।
उन्होंने कहा कि बोर्ड सरकार के स्टैंड का समर्थन करता है। इसके साथ ही सरकार से मांग है कि समलैंगिकों की अनैतिक हरकतों को जुर्म के दायरे में रखा जाए। बोर्ड इस मामले में ज़रुरत पड़ने पर कोर्ट में पक्षकार बनने को भी तैयार है। मौलाना रहमानी का कहना है कि हमारे देश में हमेशा से लोग धर्म और नैतिकता के पाबंद रहे हैं। उनका कहना है कि समलैंगिकता एक अनैतिक कार्य है और कोई भी धर्म इसे कभी भी स्वीकार नहीं करेगा। इसलिए सरकार को इसके खिलाफ अपने रुख पर हमेशा सख्ती से कायम रहना चाहिए।
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