लखनऊ:
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सिविल कोर्ट परिसर में उस वक्त अफरातफरी मच गई, जब मुख्तार अंसारी के करीबी माने जाने वाले संजीव जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई. जानकारी के मुताबिक, यह फायरिंग वजीरगंज थाने के कोर्ट में हुई. कोर्ट परिसर में मौजूद लोगों का कहना है कि हत्यारे वकीलों के वेश में आए थे और मौका देखकर संजीव जीवा को गोली मार कर फरार हो गए. इस फायरिंग में एक बालिका समेत तीन लोग घायल हुए हैं, जिन्हें बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. घटना को अंजाम देने वाले हमलावर की पहचान जौनपुर के केराकत निवासी विजय यादव के रूप में हुई है.
फायरिंग की घटना के बाद पूरे कोर्ट परिसर के बाहर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है. आपको बता दें कि 10 फरवरी 1997 को द्विवेदी की हत्या के मामले में बीजेपी के कद्दावर नेता ब्रम्हा दत्त सामने आए थे. जिसमें संजीव जीवा को बाद में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। फिर जीवा कुछ दिन बाद मुन्ना बजरंगी गिरोह में शामिल हो गया और इसी क्रम में वह मुख्तार अंसारी के संपर्क में आया। चर्चित कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी इसका नाम आया था। संजीव इस समय यूपी की लखनऊ जेल में बंद है।
संजीव के अपराध की दुनिया में कदम रखने की बात करें तो उसने सबसे पहले 90 के दशक में अपना दबदबा बनाना शुरू किया था। इसके बाद उसने आम लोगों के साथ-साथ पुलिस और प्रशासन में भी अपना आतंक फैलाना शुरू कर दिया। संजीव अपने जीवन के शुरुआती दौर में एक कंपाउंडर थे। काम करते-करते उसके दिमाग में अपराध ने जन्म ले लिया और संजीव ने डिस्पेंसरी संचालक का अपहरण कर लिया। इसके बाद उनका हौसला बढ़ता गया और 90 के दशक में जीवा ने कोलकाता के एक बिजनेसमैन के बेटे को किडनैप कर लिया। इस घटना को अंजाम देने के बाद उसने फिरौती के बदले दो करोड़ रुपये की मांग की.
बताया जाता है कि मुख्तार अंसारी नए-नए हथियारों का शौकीन था। संजीव जीवा इन हथियारों को अपनी चाल से चलाने में माहिर था। अपनी इसी विशेषता के कारण संजीव को मुख्तार का संरक्षण प्राप्त था। इसके बाद जीवा का नाम कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी आया था।
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