नरेंद्र मोदी सरकार मानती ही नहीं कि देश में पत्रकारों का उत्पीड़न होता है और साथ ही रिपोर्ट्स विदआउट बॉर्डर्स नाम की जो संस्था वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स जारी करती है, वह इसे नहीं मानती है।

राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि, “वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स नाम के एक विदेशी गैर सरकारी संगठन द्वारा जारी किया जाता है और सरकार न तो इसकी रैंकिंग और न ही इसके विचारों को मानती है। सरकार इस संगठन द्वारा निकाले गए नतीजों से सहमत नहीं है और न ही इसकी रैंकिंग को कोई महत्व देती है।”

कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इसके कई कारण है, जैसे कि जिस आधार पर यह रैंकिंग जारी करती है, “उसका सैंपल साइज बहुत छोटा होता है और साथ ही इसमें लोकतंत्र के बुनियादी आधार को अहमियत नहीं दी जाती। इसके अलावा जो तरीका अपनाया जाता है रैंकिंग के लिए वह पारदर्शी नहीं हैं और उस पर सवालिया निशान हैं।“

पत्रकारों की सुरक्षा के मामले पर अनुराग ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार देश के सभी नागरिकों जिनमें पत्रकार भी शामिल हैं, की सुरक्षा और संरक्षा को उच्चतम महत्व देती है। उन्होंने बताया कि अक्टूबर 2017 में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक एडवाइजरी जारी कर सभी मीडियाकर्मियों की सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया था।

याद दिला दें कि हाल ही में रामनाथ गोयनका पुरस्कार समारोह के दौरान इंडियन एक्सप्रेस के एडिटर इन चीफ ने कहा था कि इस समय देश में पत्रकारों का उत्पीड़न हो रहा है। उन्होंने पत्रकारों के साथ ही कई अन्य लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी की बात उठाई थी। उस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ थे और केंद्रीय मंत्रा अनुराग ठाकुर और पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी अन्य नेताओं और लोगों के साथ दर्शकों के बीच मौजूद थे।