पुदीना को अंग्रेजी में मिंट कहा जाता है। यह पॉलीफेनोल्स का ऐसा समृद्ध स्रोत है, जिसके कारण पुदीने की गंध विशिष्ट होती है और इसका स्वाद भी तीखा होता है। पुदीना में पाये जाने वाले कार्मिनेटिव से गैस से राहत मिलती है और एंटीस्पास्मोडिक गुण के कारण यह पाचन में भी सहायता करता है।

पेट के सूजन और गैस की समस्या में पुदीना की पत्तियां चबाने से काफी राहत मिलती है। पुदीना की गोलियां और पुदीना का अर्क भी अपच या बदहजमी को ठीक करने में मदद करती हैं। यह अपने एंटीऑक्सीडेंट गुण के कारण कोशिका क्षति को रोककर मस्तिष्क के कार्यों को बेहतर बनाने में भी मदद कर सकता है।

इसमें मौजूद आवश्यक तेल अपने ठंडे गुण के कारण दांत दर्द के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। नियमित रूप से पुदीना चाय पीने से इसके एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण वजन घटाने में मदद मिलती है। इसके अलावा पुदीना की पत्ती का पाउडर जब गुलाब जल के साथ त्वचा पर लगाया जाता है तो यह अपने एंटीइंफ्लेमेटरी गुण के कारण मुंहासों, दाग-धब्बों से छुटकारा पाने में मदद करता है।

ताजा पुदीना पत्ती का पेस्ट त्वचा पर लगाने से इसके रोगाणुरोधी गुण के कारण फोड़े और त्वचा संक्रमण के प्रबंधन में भी मदद मिलती है। त्वचा की जलन से बचने के लिए पुदीना तेल को नारियल तेल जैसे कुछ वाहक तेल के साथ पतला रूप में उपयोग करने की सलाह दी जाती है।

आयुर्वेद में पुदीने की पत्तियों के कई औषधीय उपयोग हैं। पुदीने की अधिकांश किस्में तीनों दोषों को संतुलित करती हैं, और विशेष रूप से उग्र पित्त को संतुलित करने में सहायक होती हैं। पुदीना एक उत्कृष्ट पाचन सहायक है जो एसिड अपच को कम करने में मदद कर सकता है। इसके मजबूत वाष्प फेफड़ों को आराम देकर और खोलकर श्वसन तंत्र को भी लाभ पहुंचाते हैं।

वैसे तो पुदीने का आनंद साल भर लिया जा सकता है, लेकिन गर्मियों के महीनों के दौरान शरीर और दिमाग को ठंडा करने में मदद करने के लिए यह विशेष रूप से फायदेमंद है। पुदीना और सौंफ की लस्सी पाचन में सहायता करने का एक स्वादिष्ट तरीका है। पुदीना और नींबू के साथ तरबूज का रस गर्मियों का एक और पसंदीदा पेय है।

भोजन के लिए स्वस्थ और स्वादिष्ट मसाले के लिए आयुर्वेदिक धनिया चटनी में ताजा पुदीना मिलाया जाता है। पुदीना आयुर्वेदिक रसोई का मुख्य आधार है। इसके शीतलन, ताजगी देने वाले गुण दोषों को संतुलित करते हैं, पाचन और श्वसन प्रणाली का समर्थन करते हैं। जड़ी-बूटियों और मसालों के साथ अधिक आयुर्वेदिक व्यंजनों में पुदीने का प्रयोग सर्वाधिक होता है।

गर्मी के कारण होने वाले रोगों में पुदीना अत्यंत उपयोगी साबित होता है। थोड़े-से पुदीने को पानी में पीसकर उसमें भुना हुआ जीरा, नींबू तथा नमक मिलाकर पीने से पेचिश, पेट के मरोड़, खट्‍टी डकारें आदि में लाभ होता है। अगर मुंह से बदबू आती हो तो पुदीने की पत्त‍ियां चबाने से बदबू चली जाती है।

गर्मी और लू में पुदीने का रस पीकर घर से बाहर निकलने पर धूप लगने का डर कम हो जाता है। पेट दर्द में पुदीने को जीरा, काली मिर्च और हींग के साथ मिलाकर खाने से आराम मिलता है और इसकी पत्त‍ियों को पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरे को ठंडक मिलती है।