लखनऊ:
स्टडी हॉल एजुकेशनल फाउंडेशन (SHEF) और मेन अगेंस्ट वायलेंस एंड एब्यूज (MAVA) ने आपसी सहयोग से संगीत नाटक अकादमी में 2 दिवसीय फिल्म-फेस्टिवल – समाभाव का आयोजन किया। इस फिल्म-फेस्टिवल में विषय लैंगिक, टॉक्सिक मस्क्युलिनिटी और डाइवर्सिटी पर आधारित अनेक फिल्मे दिखाई जा रही हैं।

SHEF की संस्थापक और सीईओ, डॉ उर्वशी साहनी ने कहा की, “लड़कों और पुरुषों को अपनी संकीर्ण मानसिकता और ज़हरीली मर्दानगी की परिभाषाओं से बाहर आना पड़ेगा और अपनी सोच और तरीके बदलने होंगे ताकि देश की सभी बेटियां और महिलाऐं सुरक्षित महसूस करें । हम बेटियों और महिलाओं को सशक्त तो कर सकते हैं लेकिन अगर हमारे बेटे और पुरुष एक समान और सुरक्षित समाज का निर्माण नहीं करेंगे तो देश आगे नहीं बढ़ेगा।” वह आगे कहती हैं की, “शेफ (SHEF) के इंडियाज डॉटर्स कैंपेन (आईडीसी) का उद्देश्य पुरुषों और लड़कों को एक्टिविस्ट और लैंगिक न्याय के चैंपियन बनने के लिए एक जुट, जागरूक और शिक्षित करना है।”

मावा के कार्यकारी निदेशक और सह-संस्थापक हरीश सदानी कहते हैं, “समाभाव लैंगिक मुद्दों और अंतर्विरोधों पर बातचीत के माध्यम से युवाओं को जोड़ता है। हम युवाओं के लिए सभी लिंगों से संबंधित होने के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाते हैं, और एक स्वस्थ, बहुलवादी, लैंगिक-न्यायपूर्ण समाज की वकालत करते हैं।”

इस महोत्सव का उद्देश्य जेंडर इक्वलिटी और डाइवर्सिटी के बारे में चर्चा करने और विचार विमर्श करने के लिए मंच प्रदान करना है। इस फिल्म महोत्सव में 19 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्मों, वृत्तचित्रों और फीचर फिल्मों का प्रदर्शन किया गया जिसमे पुरस्कृत और उल्लेखनीय फिल्में द ग्रेट इंडियन किचन और साथ ही नटखट, ह्रदय बोसोट, अबू, अनटाईंग द नॉट, मैदा, ब्लैक रोजेज एंड रेड ड्रेसेस, भाप, संडे, डार्लिंग, तुलोनी बिया जैसी कई फिल्मो शामिल हैं।

जेंडर राइट्स एक्टिविस्ट आसिया शेरवानी, नसीरुद्दीन खान, मनीष कुमार, ज्योत्स्ना हबीबुल्लाह, अल्तमश खान और अमृता सोनी फेस्ट के प्रमुख चर्चा कर्ताओं में शामिल थे, जिन्होंने एकत्रित प्रतिभागियों के साथ बातचीत की।