लखनऊ: जनहित याचिका और सामाजिक संघर्षों के माध्यम से “अंतिम-आदमी” के हित में संघर्ष करने वाले अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने कहा कि आज मानवता; महामारी, प्रशासन और मुनाफाखोरी के तत्वों से अकेले जूझ रही है. लोगों को दवा, अस्पताल, डाक्टर, एम्बुलेंस और आक्सीजन उपलब्ध नहीं है, लोग तड़प-तड़प कर जान गँवा रहे हैं, दर्दनाक मंजर है l

विजय पाण्डेय ने कहा कि लखनऊ के विभिन्न भागों में स्थित अस्पतालों में जाकर पूछने पर बंद दरवाजे के अन्दर से ही जवाब दिया गया कि सामान्य मरीज भी भर्ती नहीं हो पाएंगे, ऐसे में सोंचने वाली बात है कि जिन मरीजों को डायलिसिस, हार्ट और डिलीवरी इत्यादि की समस्या है उनको भी इलाज नहीं मिल रहा है l आक्सीजन की मांग के बीच मुनाफाखोरों की चांदी हो गई है और जो पीड़ित आक्सीजन के साथ मिल रहा है उसी पर कानूनी कार्यवाही जले पर नमक जैसा है l देशवासियों को वैकल्पिक रूप में टीके की व्यवस्था और विदेशों को निर्यात और उसकी कालाबाजारी से पूरी मानवता स्तब्ध है l निजी अस्पतालों पर इलाज का प्रतिबंध वह भी सामान्य बीमारी के मरीजों का, बहुत ही परेशान करने वाला फैसला है जिसके कारण आज श्मशान घाटों पर लाशों की लंबी कतार और वेटिंग हैं, परिवार के लोग दुःखी और आक्रोशित हैं, प्रशासन खबरों को दबाने में सारी ऊर्जा लगा रहा है l