लखनऊ

होम क्रेडिट इंडिया की ओर से किए गए “द ग्रेट इंडियन वॉलेट” अध्ययन से वित्तीय कल्याण में बढ़ते आत्मविश्वास का पता चलता है। इस स्टडी में लखनऊ के उपभोक्ताओं के व्यवहार व खर्च को लेकर उनकी प्राथमिकताओं को लेकर रोचक तथ्य सामने आए हैं। जब ज़रूरी मासिक खर्चों की बात आती है, तो लखनऊ के लोग किराने का सामान पर 25 फीसदी किराए पर 21 फीसदी, यात्रा पर 20, बच्चों की शिक्षा पर 13 फीसदी, दवाओं पर 8, बिजली बिल पर 7 तो रसोई गैस व मोबाइल चलाने पर अपनी आय का 3-3 फीसदी खर्च करते हैं। स्टडी रिपोर्ट बातती है कि चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे बड़े शहरों के बाद, सबसे ज्यादा करीब 18 फीसदी लखनऊ के लोग घरेलू उपकरण खरीदने के लिए सबसे ज़्यादा खर्च करते हैं।

क्षेत्र के आधार, 2024 में, लखनऊ में औसत व्यक्तिगत मासिक आय में वृद्धि देखी गई, जो 2023 में 25 हज़ार से बढ़कर 29 हज़ार हो गई, जबकि 2023 में निश्चित मासिक खर्च भी 14 हज़ार से बढ़कर 18 हज़ार हो गया। इसके बावजूद, 47% उत्तरदाता अपने निश्चित खर्चों को कवर करने के बाद बचत करने का इंतज़ाम कर लेते हैं। लखनऊ में आवश्यक मासिक खर्चों पर किराने का सामान (25% और किराया (21%) खर्च होता है, जिसमें यात्रा (20%) और बच्चों की शिक्षा (13%) के लिए ज़रूरी आवंटन होता है।

जब विवेक के आधार पर किए जाने वाले खर्च की बात आती है, तो वरीयताएँ स्थानीय यात्रा और दर्शनीय स्थलों की यात्रा (17%) और डाइनिंग आउट (14%) की ओर झुकती हैं। पिछले छह महीनों में, कपड़ों और ऐक्सेसरीज़ पर 50% ग़ैर-ज़रूरी बढ़ोतरी हुई है। 68% ने बताया कि ऑनलाइन फ़ाइनैंशियल फ़्रॉड (वित्तीय धोखाधड़ी) के बारे में वे जागरूक हैं, जिसमें से 22% ऐसी योजनाओं का शिकार हुए हैं। “यूपीआई पर क्रेडिट” जैसी नई और अनोखी फ़ाइनैंशियल सर्विसेस में दिलचस्पी रखने वाले लोग 44% हैं। लेकिन दूसरी ओर, 62% लोग यह बताते हैं कि कि अगर इन सर्विसेस पर शुल्क लगाया जाता है, तो वे यूपीआई का इस्तेमाल करना बंद कर देंगे। इसके अलावा, चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद के बाद लखनऊ घरेलू उपकरणों के लिए एक महत्वपूर्ण बाज़ार के रूप में उभरता रहा है, जिसमें 18% कंज़्यूमर्स ऐसी खरीदारी में इंवेस्ट करते हैं। , लखनऊ स्थानीय यात्रा/दर्शनीय स्थलों की यात्रा (17%) और बाहर खाने (14%) पर सबसे कम खर्च करने वाला है।