लखनऊ

लखनऊ पुस्तक मेला: दशा बता रहा दलित साहित्य तो रंजन कर रहा व्यंग्य साहित्य

टीम इंस्टेंटखबर
चारबाग के बाल संग्रहालय परिसर में चल रहा लखनऊ पुस्तक मेला आठवां दिन दिनभर रौनक भरा रहा। समापन की ओर बढ़ चले मेले में कविता, शायरी और मनोरंजन करने वाली हास्य-व्यंग्य की पुस्तकें के संग लोग दलित साहित्य की नई पुरानी किताबें भी खूब खरीद रहे हैं। रात नौ बजे तक हर किताब पर कम से कम 10 फीसदी छूट देने वाला यह मेला रविवार तीन अप्रैल को समाप्त हो जायेगा।

ओमप्रकाश वाल्मीकि, कंवल भारती, तुलसी राम और मोहन दास नैमिशराय हिन्दी में दलित साहित्य के जाने पहचाने नाम हैं। पुस्तक मेला आने वाले पुस्तक प्रेमियों को इनकी रचनाओं की तलाश तो रहती है ही, लोग डा.भीमराव अम्बेडरकर से जुड़े साहित्य को भी पसंद और खरीद रहे हैं। अंतिम दिनों में मेले में पुस्तक प्रेमियों की खासी भीड़ दिखाई दे रही है।

राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के पास बसंत मून की आम्बेडकर, सुचेता महाजन की सामाजिक बदलाव के लिए शिक्षा प्रमुख पुस्तकें हैं। तो वाणी प्रकाशन के स्टॉल पर मोहनदास की सौ दलित आत्मकथाएं, ओम प्रकाश वाल्मीकि की दलित साहित्य वेदना विद्रोह, जयप्रकाश कर्दम की व्यक्ति विचारक सर्जक नई किताबें हैं।
इसी तरह व्यंग्य की पुस्तकों की शृंखला में हरिशंकर परिसाई और शरद जोशी की किताबें पहली पंसद बनी हुई हैं। इनकी बेईमानी की परत, रानी नागफनी की कहानी के संग ही विनोद सोमवाल की बात बतंगड़ और शाश्वत की झरता नीम को पाठक खरीद रहे हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग से छपी आचार्य किशोर कुणाल की दलित देवो भव पुस्तकें हैं। इसी तरह लक्ष्मी नारायण व राजकमल प्रकाशन के स्टॉल पर सुखदेव थोरात की भारत में दलित और व्यंग्य में परिसाई रचनावली प्रमुख हैं। मेले के आयोजक मनोज चंदेल ने बताया कि मेले के आखिरी दिनों में रिस्पांस मिलना शुरु हुआ। तेज गर्मी और बोर्ड की परिक्षाओं ने प्रभावित किया। अभी तक छह दिनों में लगभग 20 लाख की पुस्तकें बिकीं। तीन दिन शेष है, तेजी से पाठकों की भीड़ बढ़ी है।

आयोजनों में आज सुबह डॉ.सौरभ भल्ला के दंत सुरक्षा शिविर में लोगों को दांत व मुंह की स्वच्छता के बारे में जानकारी देकर जागरुक किया गया। शिविर में आने वाले लोगों का परीक्षण कर परामर्श दिया गया। दोपहर के विश्वम महोत्सव में अवनींद्र अकादमी गोमतीनगर के बच्चों ने नृत्य और गायन प्रतिभा को दर्शाया। साथ ही महिला सशक्तीकरण और पर्यावरण पर सुधार की दृष्टि से विचार व्यक्त किये। प्राथमिक विद्यालय घुसवल कला के बच्चों ने कविता पाठ किया तो श्रोताओं ने जोरदार तालियों से हौसला अफजाई की। आदर्श प्रकाश सिंह की पुस्तक सही भाषा सरल संपादन पर हुई चर्चा में सामने आया कि जनसंचार और पत्रकारिता से तआल्लुक रखने वालों के साथ ही ये पुस्तक लेखन से सम्बंधित हर किसी के लिए उपयोगी है।

पेट्स हाउस और दि ग्रेट पोयट्री के संयोजन में आयोजित शाम ए अदब में ओम शर्मा ओम, प्रियांशु वात्सल्य, लखनची शेखर, रविन्द्र अजनबी, मृत्युंजय बाजपेयी, सौरभ जायसवाल, पूनम मिश्रा व ऋतिका थपलियाल आदि की रचनाओं में उनकी भावनाएं श्रोताओं तक पहुंची। ओम नीरव के संयोजन में कविता लोक के कार्यक्रम मे काव्य रचनाओं की गूंज यहां मेला समापन तक जारी रही।

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