कानपुर
उत्तर प्रदेश के दलित, आदिवासी, अति पिछड़े भूमिहीन गरीब परिवारों को आवासीय भूमि और आजीविका के लिए एक एकड़ जमीन देने की मांग कानपुर के राम आसरे भवन में कल आयोजित सामाजिक न्याय कन्वेंशन में मजबूती से उठी। दलित शोषण मुक्ति मंच व खेत मजदूर यूनियन की तरफ से आयोजित इस कन्वेंशन में प्रदेश भर के विभिन्न सामाजिक संगठनों व राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। कन्वेंशन में वक्ताओं ने कहा कि अभी भी सामाजिक न्याय की यात्रा अधूरी है। समाज के दलित, आदिवासी, अति पिछड़े तबकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय नहीं मिल सका है। उत्तर प्रदेश में 6 करोड़ दलित और 15 लाख आदिवासियों की हालत यह है कि उनमें से 94 प्रतिशत दलित व 92 प्रतिशत आदिवासी मजदूरी व अन्य पेशे से अपनी जीविका चलाते हैं। जिनमें से 82.40 प्रतिशत दलित व 81.35 प्रतिशत आदिवासी 5000 रूपए से भी कम मजदूरी पाते हैं। प्रदेश में 42 प्रतिशत दलित और 35.30 प्रतिशत आदिवासी भूमिहीन है। ऐसी स्थिति में उनकी सम्मानजनक जीवन और आजीविका के लिए एक एकड़ जमीन सरकार को आवंटित करनी चाहिए। सरकार जब कॉर्पोरेट घरानों को जमीन खरीद कर दे सकती है तो रोजगार संकट के इस दौर में एससी- एसटी सब प्लान के धन से दलित, आदिवासियों को भी जमीन दी जा सकती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रदेश के 74 लाख दलित और आदिवासियों को आवासीय भूमि पर अधिकार देने की कार्रवाई की घोषणा को हवा हवाई बताते हुए कहा गया कि मुख्यमंत्री यदि अपनी घोषणा के प्रति ईमानदार है तो उनकी सरकार को तत्काल भूमिहीन परिवारों को आवासीय भूमि का प्रबंध करना चाहिए।

कन्वेंशन में रोजगार के जारी संकट, सरकारी नौकरियों में पदों को खत्म करने और निजीकरण की नीतियों पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा गया कि दलितों, आदिवासियों व अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों को इसके कारण सरकारी नौकरी नहीं मिल पा रही है। प्रदेश के हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी व रिक्त 6 लाख पदों की भर्ती शुरू करने की मांग उचित है और इसके लिए सरकार पर चौतरफा दबाव बनाना चाहिए। वक्ताओं ने कहा कि देश के नामचीन अर्थ शास्त्रीयों का यह मत है कि यदि कॉर्पोरेट घरानों पर एक प्रतिशत संपत्ति कर और 33 प्रतिशत उत्तराधिकार कर लगा दिया जाए तो आम नागरिकों के रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेंशन और आवास के अधिकार की गारंटी की जा सकती है। सरकार इसे करने की जगह ग्रामीण मजदूरों की आजीविका के लिए मनरेगा योजना को खत्म करने में लगी है। इसके बजट में भारी कटौती की गई और करीब 10 करोड़ परिवारों के जाब कार्ड ही रद्द कर दिए गए।

शवक्ताओं ने कहा कि भाजपा-आरएसएस की जो सरकार केंद्र व राज्य में चल रही है उसने हमारे संविधान में दिए गए न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व के अधिकार पर हमला बोल दिया है। तानाशाही लाकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दिन प्रतिदिन खत्म किया जा रहा है। इस दौर में सबसे बड़ा शिकार लोकतंत्र हुआ है। असहमति की आवाज को फर्जी मुकदमें व काले कानून लगाकर जेल में बंद किया जा रहा है और उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। न्यूज क्लिक के पत्रकार प्रवीर पुरकायस्था, आनंद तेलतुंबडे, गौतम नौवलखा, सुधा भारद्वाज से लेकर लंबी फेहरिस्त है जिन्हें दमन का शिकार होना पड़ा है। स्थिति इतनी बुरी है कि कई सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं की जेल में मृत्यु तक हो गई है। प्रदेश में तो स्थिति बहुत ही बुरी है दलितों के उत्पीड़न के मामले में देश में उत्तर प्रदेश नंबर वन है। भाजपा-आरएसएस की सरकार में गुडों, माफियाओं सामंतों और अपराधियों का मनोबल बढ़ा हुआ है और वह समाज के कमजोर तबकों पर लगातार हमले कर रहे हैं। नागरिक अधिकारों की रक्षा व लोकतंत्र की हिफाजत आज के दौर का प्रमुख कार्यभार है।

कन्वेंशन में एजेंडा यूपी के 17 जनवरी को लखनऊ में आयोजित सम्मेलन की मांगों का समर्थन किया गया और कानपुर के पहेवा में दलित उत्पीड़न की घटना पर निंदा प्रस्ताव भी लिया गया। कन्वेंशन में निजी क्षेत्र में आरक्षण, समान व स्तरीय शिक्षा, स्वास्थ्य के अधिकार की बात भी प्रमुखता से उठी। कन्वेंशन में राम मंदिर को अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए भाजपा और आरएसएस द्वारा इस्तेमाल किए जाने की कड़ी निंदा की गई। आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए गांव-गांव जन जागरण अभियान और लाखों पर्चा वितरण करने का निर्णय कन्वेंशन में हुआ।

कन्वेंशन का उद्घाटन सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य पूर्व सांसद सुभाषनी अली ने किया और प्रस्ताव दलित शोषण मुक्ति मंच के प्रदेश संयोजक व पूर्व सभासद गोविंद नारायण ने रखा। कन्वेंशन की अध्यक्षता खेत मजदूर यूनियन के महामंत्री बृजलाल भारती संचालन दलित शोषण मुक्ति मंच के एडवोकेट आनंद गौतम ने किया।
कन्वेंशन को ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर, खेत मजदूर यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष सतीश कुमार, युवा भारत के विजय चावला, डग के रामकुमार, बामसेफ के तुलसीराम वाल्मीकि, पिछड़ा वर्ग महासभा के देवी प्रसाद निषाद, भीम क्रांति मोर्चा के निलेश भारती, आरपीआई के राहुलन अंबेडकर, अर्जक संघ के अतर सिंह, चमन खन्ना, सीमा कटिहार, औसान सिंह, हरिशंकर वर्मा, शेखर भारतीय, सीपीएम के मोहम्मद वसी, राम शंकर, देशराज वाल्मीकि, उमाकांत आदि लोगों ने संबोधित किया।