लखनऊ ब्यूरो
उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने प्रस्तावित जनसंखया नियंत्रण कानून (Population Control Act) से संबंधित विधेयक का अंतिम मौसदा तैयार कर लिया है. आयोग के अध्यक्ष आदित्य मित्तल ने बताया कि प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण कानून के मसौदे को जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) को सौंपा जाएगा. जानकारी के मुताबिक, योगी सरकार जनसंख्या नियंत्रण विधेयक को 17 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र में पेश कर सकती है.

विधेयक के फाइनल मसौदे में भी दो से अधिक बच्चों के माता-पिता को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से रोकने समेत अन्य सुविधाओं से वंचित रखने की सिफारिश की गई है. साथ ही वन चाइल्ड पॉलिसी को प्रोत्साहन देने पर भी जोर दिया गया है. सरकार विधनमंडल के मानसून सत्र में इस विधेयक को ला सकती है. विधि आयोग की तरफ से तैयार 260 पेज की इस रिपोर्ट में विभिन्न वर्गो की तरफ से आए सुझावों को भी शामिल किया गया है. इस रिपोर्ट में मान्य और अमान्य प्रस्तावों को रखते हुए उनकी विधिक स्थिती स्पष्ट की गई है. यानि विधायक और सांसद बनने के लिए दो से अधिक बच्चे होने की दशा में उनके चुनाव लड़ने को लेकर राज्य सरकार कानून नहीं बना सकती, क्योंकि यह अधिकार केंद्र सरकार का है.

आपको बता दें कि मसौदे को तैयार करने के लिए लोगों से रायशुमारी की तिथि 19 जुलाई निर्धारित की गई थी, जिसमें अब तक राज्य विधि आयोग को 8500 सुझाव मिले है. ये सुझाव सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर से आए हैं. अब इन सुझावों पर मंथन के बाद मसौदे को अंतिम रूप दिया गया है. आदित्य मित्तल के मुताबिक भविष्य में यह मसौदा उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) एक्ट 2021 के नाम से जाना जाएगा.

इसमें 2026 और 2030 तक के लिए दो चरणों में अलग-अलग मानकों पर केंद्रित लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं. करीब 25 करोड़ की आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में योगी सरकार नई जनसंख्या नीति पर काम कर रही है. सरकार ने दूसरे राज्यों की जनसंख्या नीति का अध्ययन करने के बाद अब 11 जुलाई को नई जनसंख्या नीति घोषित करने का फैसला किया था. बताया जा रहा है कि साल 2021-30 की अवधि के लिए प्रस्तावित नीति के माध्यम से परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जारी गर्भ निरोधक उपायों की सुलभता को बढ़ाया जाना और सुरक्षित गर्भपात की समुचित व्यवस्था कराने की कोशिश होगी.

यह नीति अमल में आने के बाद स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से नवजात मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर को कम करने का प्रयास होगा. साथ ही नपुंसकता-बांझपन की समस्या का समाधान उपलब्ध कराते हुए जनसंख्या रोकने के प्रयास भी किए जाएंगे. नई नीति में 11 से 19 साल के किशोरों के पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य के बेहतर प्रबंधन करने पर जोर होगा. बुजुर्गों की देखभाल के लिए व्यापक व्यवस्था करना भी अहम मुद्दा है. डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत नवजातों, किशोरों और वृद्धजनों की डिजिटल ट्रैकिंग की व्यवस्था की जाएगी.