लखनऊ:
इमामबाड़ा गुफ़रान माअब में मुहर्रम की छटी मजलिस को ख़िताब करते हुए मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने विलायते अली अ.स की अज़मत पर तफसीली रौशनी डाली।

मजलिस के बाद इमामबाड़ा गुफ़रान माअब में अंतराष्ट्रीय यौमे अली असग़र अ.स का इनेक़ाद भी हुआ, ख़्वातीन ने अपने शीर ख़्वार बच्चो के साथ शिरकत की।

मौलाना ने कहा कि क़ब्र में अल्लाह की वहदानियत और हज़रत मुहम्मद मुस्तफा (स अ व) की नबूवत के साथ हज़रत अली इब्ने अबि तालिब अ.स की विलायत का सवाल होगा जो अली (अ.स) की विलायत को मानने वाला होगा उसी का अक़ीदा-ए-तौहीद ओ नबूवत क़ाबिले क़ुबूल होगा।
अगर विलायते अली अ.स का इक़रार नहीं किया तो तमाम इबादात को रद कर दिया जायेगा। तमाम इबादतों का दरों मदार अली अ.स की मोहब्बत और विलायत पर हैं। इसलिए मुसलमानों को इबादतों की क़ुबूलियत और हुसूले जन्नत के लिए विलायते अली अ.स से तमस्सुक इख़्तेयार करना चाहिए।
मजलिस के आखिर में मौलाना ने हम शक्ले पैग़म्बर (स अ व) और इमाम हुसैन अ.स के बेटे हज़रत अली अकबर अ.स की शहादत के वाक़िए को बयान किया जिसे सुनकर अज़ादारों ने बेहद गिरया किया।

इसी अज़खाने में ठीक 3 बजे मजलिसे उलमा-ए-हिंद की जानिब से अंतराष्ट्रीय यौम अली असग़र अ.स का इनेक़ाद अमल में आया जिस में ख़्वातीन अपने शीर ख़्वार बच्चो के साथ शरीक हुई। मजलिस में बच्चो के लिए मख़सूस लिबास का एहतेमाम किया गया था जिसे पहना कर ख़्वातीन ने ये पैग़ाम दिया कि अगर वो करबला में होती तो अली असग़र अ.स की जगह अपने बच्चों की कुर्बानियां पेश करती। मजलिस को ख़्वाहर फातिमा जवाद नक़वी ने ख़िताब किया। उन्होंने यौमे अली असग़र अ.स की अहमियत और शहादते अली असग़र अ.स की अफाक़ियत को बयान किया। मजलिस में बड़ी तादाद में ख़्वातीन ने शिरकत की। वज़ेह रहे कि मुहर्रम के पहले जुमे को ईरान समेत पूरी दुनिया में अंतराष्ट्रीय यौमे अली असग़र अ.स का इनेक़ाद होता हैं जिसमें ख़्वातीन अपने शीर ख़्वार बच्चों के साथ शरीक होती हैं। ये मजलिस मौलाना कल्बे जवाद नक़वी की तरफ़ से मजलिसे उलमा-ए-हिंद के ज़ेरे एहतेमाम पिछले कई सालों से हो रही हैं।