नई दिल्ली: कानुपर में हुए चर्चित विकास दुबे एनकाउंटर की जांच न्यायिक आयोग (judicial commission) द्वारा की जाएगी। देश की सर्वोच्च अदालत ने विकास दुबे एनकाउंटर (vikas dubey encounter) की जांच के लिए तीन सदस्यों वाले न्यायिक आयोग का गठन किया है। अदालत ने आयोग से 2 महीने में रिपोर्ट भी मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को कहा है कि एक हफ्ते के अंदर इसपर काम शुरू कर दिया जाए।

जांच को मॉनिटर करने से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने विकास दुबे एनकाउंटर मामले में हो रही जांच को मॉनिटर करने से इनकार दिया था। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने कहा कि , चूकि इस मामले में काफी पब्लिसिटी हो गई है लिहाजा हम आपराधिक जांच को मॉनिटर नहीं कर सकते हैं। इस मामले में पहले ही एसआईटी (SIT) का गठन किया जा चुका है।

जनहित याचिका पर हुआ एक्शन
कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों की पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की अदालत की निगरानी में जांच की मांग को लेकर एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी। इसी याचिका पर बुधवार (22-07-2020) को सुनवाई हुई और अदालत ने आयोग बनाने का निर्देश दिया है।

यूपी सरकार ने जांच टीम के नाम सौंपे
कोर्ट में सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने जांच टीम का नाम सौंप दिया है। इसमें पूर्व न्यायाधीश के रूप में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बीएस चौहान और पूर्व डीजीपी के तौर पर केएल गुप्ता का नाम प्रस्तावित किया गया है। यूपी सरकार ने कहा है कि पूर्व न्यायाधीश चौहान इस समिति का हिस्सा बनने के लिए राजी हैं। वहीं, सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पैनल उन परिस्थितियों की भी जांच करेगा जिनके तहत गैंगस्टर विकास दुबे को जमानत पर रिहा किया गया था। सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश ने यूपी सरकार से कहा कि सुनि़श्चित करें कि राज्य में ऐसी घटना फिर से नहीं हो।

जस्टिस बीएस चौहान के नेतृत्व में होगी जांच
विकास दुबे कांड की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस बीएस चौहान के नेतृत्व में होगी। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के सुझाव पर मुहर लगाई। उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक के एल गुप्ता भी जांच आयोग में शामिल होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक हफ्ते में जांच आयोग काम शुरू करे।