दिल्ली:
भारत की सरकारी व्यवस्था में संसद बड़ी या संविधान बड़ा . देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक कार्यक्रम में इस पुरानी बहस को छेड़कर गड़े मुर्दे उखाड़ दिया है। न्यायपालिका पर जगदीप धनकड़ के तंज पर कांग्रेस ने मोर्चा खोला। कांग्रेस ने कहा कि उपराष्ट्रपति का बयान न्यायपालिका पर असाधारण हमला है. कांग्रेस ने कहा कि यह एक संवैधानिक संस्था द्वारा दूसरे संवैधानिक संस्था पर खुलकर किया गया हमला है.

बता दें कि बुधवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2015 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) कानून को रद्द करने के लिए उसकी आलोचना की थी. इसके अलावा उन्होंने भारत के न्यायिक इतिहास के प्रमुख मामलों में से एक केशवानंद भारती केस का जिक्र किया था और कहा था कि 1973 में आए इस फैसले ने गलत मिसाल पेश कर दी है और अगर कोई भी अथॉरिटी संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्ति पर सवाल उठाती है, तो यह कहना मुश्किल होगा कि क्या भारत एक लोकतांत्रिक देश है.

राज्यसभा के सभापति धनखड़ ने कहा कि वे केशवानंद भारती केस में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सहमत नहीं है कि संसद संविधान में संशोधन कर सकती है, लेकिन इसकी मूल संरचना में नहीं. धनखड़ ने कहा था कि संसदीय संप्रभुता और स्वायत्तता लोकतंत्र के अस्तित्त्व के लिए सर्वोपरि है और कार्यपालिका या न्यायपालिका को इसके साथ किसी तरह का समझौता करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है.

उपराष्ट्रपति के इस बयान पर कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि एक सांसद के रूप में मेरे 18 वर्षों में, मैंने कभी किसी को सुप्रीम कोर्ट के 1973 में आए केशवानंद भारती के फैसले की आलोचना करते नहीं सुना. जयराम रमेश ने आगे कहा कि वास्तव में अरुण जेटली जैसे कानूनविदों ने इस फैसले को मील का पत्थर करार दिया. अब राज्यसभा के चेयरमैन कहते हैं कि ये गलत है, ये न्यायपालिका पर असाधारण हमला है. उन्होंने एक दूसरे ट्वीट में यह भी कहा कि इस बयान में एक संवैधानिक संस्था द्वारा दूसरे संवैधानिक संस्था पर किए गए अभूतपूर्व हमले की झलक है.

जयराम रमेश ने कहा कि अलग-अलग विचार होना एक बात है, लेकिन उपराष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट के साथ टकराव को बिल्कुल अलग स्तर पर ले गए हैं. इससे पहले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम ने भी इस बयान के लिए जगदीप धनखड़ की आलोचना की. उन्होंने कहा कि धनखड़ ये गलत कह रहे हैं कि संसद सुप्रीम है और उनके विचार संविधान से प्रेम करने वाले सभी नागरिकों को आगे के खतरों के लिए आगाह करते हैं. पी चिदंबरम ने कहा कि राज्यसभा के माननीय सभापति तब गलत हो जाते हैं जब वे कहते हैं कि संसद सर्वोच्च है. यह संविधान है जो सर्वोच्च है. पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि बेसिक स्ट्रक्चर का सिद्धांत इस लिए विकसित हुआ ताकि बहुमत के आधार पर संविधान के आधारभूत सिद्धांतों को निशाना न बनाया जा सके.

पी चिदंबरम ने कहा, “मान लें कि संसद, बहुमत से, संसदीय प्रणाली को राष्ट्रपति प्रणाली में बदलने के लिए मतदान करती है. या अनुसूची VII में राज्य सूची को निरस्त करती है और राज्यों की विशेष विधायी शक्तियों को छीन लेती है. क्या ऐसे संशोधन मान्य होंगे?” बता दें कि भारत में केशवानंद भारती केस में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ही संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर का सिद्धांत को विकसित हुआ माना जाता है. ये सिद्धांत कहता है कि संसद चाहे तो संविधान में संशोधन कर सकती है लेकिन संसद संविधान के मूल ढांचे में बदलाव नहीं कर सकती है.