डॉ लालचंदानी के खिलाफ इलाहबाद हाईकोर्ट में इम्पार की जनहित याचिका

इंडियन मुस्लिम्स फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करके कानपुर मेडिकल कॉलेज की पूर्व प्रिंसिपल डॉ लाल चंदानी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है। जनहित याचिका में कहा गया है जिस तरह से तबलीगी जमात वालों के खिलाफ डॉ लाल चंदानी ने अभद्र टिप्पणी की वह निंदनीय है। ज्ञात रहे कि जनहित याचिका इम्पार के कार्यकारी निदेशक खालिद अंसारी की ओर से दाखिल की गई है जिसमें इम्पार वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, उत्तर प्रदेश सरकार, कानपुर के डीएम, कानपुर के चीफ मेडिकल ऑफिसर समेत कुल 7 लोगों को पार्टी बनाया गया है।

इम्पार की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि एक डॉक्टर को इस बात की शपथ दिलाई जाती है कि वह मरीजों के साथ धर्म या समुदाय के आधार पर किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं करेगा और उनका इलाज इंसान होने के नाते करेगा, लेकिन डॉ लाल चंदानी के वायरल वीडियो में जिसकी उन्होंने पुष्टि भी की है, हालांकि उन्होंने इतना जरूर कहा है कि इस वीडियो को एडिट किया गया है, लेकिन डॉ लाल चंदानी का इस तरह से तबलीगी जमात के लोगों को आतंकवादी कहना, उनको सबक सिखाने की बात करना और वीडियो में मौजूद कुछ लोगों का डॉक्टर साहिबा से तबलीगी जमात के मरीजों को इंजेक्शन देने की बात कहना, यह बहुत सारे प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।

इम्पार ने कहा है कि लालचंदानी ने अपनी तथाकथित टिप्पणी में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को भी तबलीगी जमात के सदस्यों का इलाज करने पर तुष्टीकरण की नीति का पालन करने की बात कही है। इम्पार ने आगे कहा है कि डॉ लाल चंदानी ने जिस तरह के दृढ़ निश्चय और संकल्प स्टिंग वीडियो में दिखाये हैं और खुद पूछ रही है कि कहीं इसकी रिकॉर्डिंग तो नहीं हो रही है, इससे साफ है कि वह अपने निश्चय में पूरी दृढ़ता के साथ अगर उनको मौका मिलता तो वह उसके लिए वचनबद्ध थी और तबलीगी जमात वालों के साथ वह तमाम व्यवहार करतीं जिस को उन्होंने वीडियो में तथाकथित तौर पर कहा है।

इम्पार ने कहा है कि कोर्ट मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देशित करे ताकि विशेष रूप से चिकित्सा पेशे में धार्मिक कट्टरता के खतरे की जांच की जा सके। ज्ञात रहे कि डॉ लाल चंदानी का मामला सुर्खियों में आने के बाद देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन से सब से पहले इम्पार ने अपील की थी कि वह कानून के हिसाब से डॉ लाल चंदानी के खिलाफ एक्शन लें। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देशित करें कि वह उनको हटाने का काम करें, जिसके बाद मीडिया में खबर आई कि एक केंद्रीय मंत्री के बैचमेट होने के नाते सरकार में उनके खिलाफ एक्शन लेने में आम सहमति नहीं बन पा रही है। इम्पार बार ने कहा है कि अगर उनका जुर्म साबित होता है उनको सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई इस तरह का काम ना कर सके क्योंकि आज डिजिटल और ग्लोबल युग में अगर कोई बात निकलती है तो दूर तक जाती है और उससे दुनिया में भी है भारत की छवि के धूमिल होने का पूरा पूरा खतरा बना रहता है और लालचंदानी के तथाकथित वीडियो के बाद यह चीज देखने को भी मिली है।