तौक़ीर सिद्दीक़ी

क्या प्रियंका बदल रही हैं यूपी का मौसम?

जैसे जैसे विधानसभा चुनाव नज़दीक आते जा रहे हैं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी भाजपा और विशेषकर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ब्लड प्रेशर बढ़ाती जा रही हैं. कल प्रियंका गाँधी आगामी विधानसभा चुनाव में महिलाओं को 40 प्रतिशत टिकट आबंटित करने के एलान कर भाजपा और बाबा की नींद उड़ा चुकी हैं . इससे पहले लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्या के मुद्दे पर प्रियंका ने पहले ही भाजपा और योगी सरकार के साथ केंद्र की मोदी सरकार को परेशान कर रखा है और अब उन्होंने जिस तरह दलित समाज के मुद्दे को लेकर नई लड़ाई छेड़ी है इससे योगी जी की परेशानी यक़ीनन बढ़ी है. यही वजह है कि उन्होंने आगरा में दफ़ा 144 लगाकर प्रियंका गाँधी को वहां जाने से रोक दिया। बता दें कि आगरा में मंगल को बाल्मीकि समाज के एक व्यक्ति जो सफाई कर्मी था उसकी पुलिस हिरासत में मौत हो गयी थी और जिसके पीड़ित परिवार से मिलने प्रियंका आज आगरा जा रही थीं मगर आगरा एक्सप्रेसवे टोल नाके पर पुलिस प्रशासन ने उनके काफिले को रोक दिया। मौके पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की पुलिस से काफी नोक झोंक भी हुई.

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि मैं शोक जताने एक परिवार के पास जा रही हूँ जिसके घर का एक व्यक्ति पुलिस हिरासत में मर गया और यह सरकार हमें रोक रही है. हमें समझ में नहीं आता कि यह सरकार किस तरह की सोच रखती है जो किसी के दुःख में किसी के शरीक होने से भी डरती। प्रियंका ने कहा कि इन्हें मालूम है कि यह मुझे आगरा जाने से रोक नहीं सकते। मैं लखीमपुर भी पहुंची थी और अब आगरा भी पहुंचूंगी। मुझे किसी पीड़ित परिवार से मिलने से कोई नहीं रोक सकता।

टोल प्लाजा पर चल रही है पुलिस नोक झोंक के बीच प्रियंका गाँधी ने महिलाओं से भी मुलाक़ात की जो वहां काफी संख्या में उनसे मिलने के लिए मौजूद थीं और वह सब कांग्रेस पार्टी की कार्यकर्ता नहीं थीं. शायद प्रियंका गाँधी के कल की घोषणा का यह प्रभाव था कि ड्यूटी पर तैनात महिला पुलिस कर्मी भी कांग्रेस महासचिव के साथ सेल्फी खिंचवाने से खुद को रोक नहीं सकीं, हालाँकि उन्हें मालूम होगा कि योगी शासन में यह एक तरह से अपराध है , उनकी नौकरी भी जा सकती है पर शायद यह प्रदेश में बदलते मौसम का असर है जो ऐसा बिरला नज़ारा देखने को मिला वह भी सरे आम, यह नज़ारा सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हुआ.

दरअसल एक ज़माने में कांग्रेस के पास अपर कास्ट, मुसलमान और दलित का एक बहुत बड़ा वोट बैंक हुआ करता था जो वक़्त के साथ उससे दूर होता चला गया, अपर कास्ट को भाजपा ने अपनाया, मुस्लमान सपा की तरफ भागा और दलितों की मसीहा मायावती बन गयीं। यह सब कांग्रेस से क्यों दूर हुए, इसकी बहुत सी वजहें थीं जो सब पब्लिक डोमेन में हैं, सभी जानते हैं. यहीं वजह है कि तीन दशकों से ज़्यादा का समय बीत चूका है और कांग्रेस सत्ता के साथ ज़मीन भी खो चुकी है, आंकड़े इसके गवाह हैं. मगर कहते हैं न कि घूरे के भी दिन बहुरते हैं फिर यह तो देश और प्रदेश में सबसे ज़्यादा राज करने वाली पार्टी है. मरा हाथी भी सवा लाख का.

समय बदल रहा है, हवा बदल रही है, मतलब मौसम भी बदल रहा है. पिछले एक महीने से दिख रहा है कि मुर्दा हो चुकी कांग्रेस पार्टी में प्रियंका गाँधी ने जान फूंक दी है. वह कार्यकर्ता जो बरसों से घरों में घुसा हुआ था, प्रियंका उसे सड़कों पर वापस ले आयी हैं। रफ़्तार बहुत अच्छी है और ऐसा ही चलता रहा तो मंज़िल ज़रूर मिल सकती है, इसबार नहीं तो अगली बार सही, यूपी नहीं तो दो सालों बाद कहीं और सही. सियासी दावों का असर तो बहुत देर और दूर तक रहता है. अभी निशाना भले ही यूपी दिख रहा हो मगर तैयारी तो आगे की भी है. वैसे कहते हैं कि यूपी से ही वहां का रास्ता निकलता है जहां हर पार्टी जाना और जमना चाहती है.

फिलहाल अभी तो यह हाल है कि प्रियंका गाँधी ने भाजपा और बाबा दोनों को बेहाल कर रखा है और प्रियंका के तेवरों से तो यही लग रहा है कि यह बेहाली और बढ़ने वाली है. पहले तो राजनीतिक पंडितों को यह लग रहा था कि भाजपा और बाबा, सपा को कमज़ोर साबित करने के लिए प्रियंका को ढील दे रहे हैं मगर प्रियंका की सक्रियताओं और कार्यशैली ने साबित कर दिया कि यह सब बातें अफवाह थीं. कहते हैं कि बाजार कोई भी हो जो दिखता है वही बिकता है और इस समय यूपी में सिर्फ प्रियंका ही दिख रही हैं.