लेख

क्या उत्तर प्रदेश में डूब रहा है बीजेपी का जहाज़?

मोहम्मद आरिफ नगरामी

मुल्क की पांच रियासतों में असेम्बली इन्तेखाब का एलान होते ही उत्तर प्रदेश में बीजेपी लीडरों की बगावत का सिलसिला जिस तरह शुरू हुआ है उसे पार्टी के लिए नेक फाल तो हरगिज करार नहीं दिया जा सकता है। उत्तर प्रदेश असेम्बली इन्तेखाबात की अहमियत बागी रियासताूें के मुकाबले में इसलिये ज्यादा है कि न सिर्फ यह कि उत्तर प्रदेश मुल्क की सबसे बड़ी रियासत है बल्कि यही वह रियासत है कि जिससे गुजराती नरेन्द्र मोदी को वाराणसी से जीत दिला कर लोक सभा भेजा और वह वजीरे आजम बने.

उत्तर प्रदेश ही वह रियासत है जिस ने बीजेपी को सब से ज्यादा मेम्बराने पार्लियामेंट दिये जिसके नतीजे में बीजेूपी को मरकज में हुकूमतसाजी का मौका मिला और 2017 के इलेक्शन में भी बीजेपी ने यहां शानदार जीत दर्ज करके योगी की क़यादत मेें सरकार बनायी।

लेकिन गुजिश्ता पांच बरसों में मरकज और उत्तर प्रदेश में ऐसा बहुत कुछ हुआ जिस ने अवाम को बीजेपी से मायूस किया उसके लिये मोदी जिम्मेदार हैं या योगी। या फिर बीजेपी की पॉलिसियां और हालात की सितम जरीफियां उसका सबब हैं। यह अलग सबब हैं लेकिन एक बात तो वाजेह है कि चंद साल पहले तक जिस तरह जोक दर जोक दूसरी पार्टियों के लीडर बीजेपी की पनाह में आ रहे थे अब उसी तरह यह लीडर पार्टी छोड कर समाजवादी पार्टी का दामन थाम रहे हैं।

गुजिश्ता एलेक्शन में जो लोग दिल व जान से बीजेपी के साथ थे और जिन्हें बीजेपी के हिन्दुत्व से लगाव था वह भी अब पार्टी से दूर जा रहे हैं क्योंकि इस तबके को यह ऐसास हो गया है कि हिन्दुत्व की बात कितनी ही खुशनुमा सही लेकिन पेट भरने के लिये रोटी की जरूरत अपनी जगह पर कायम है। और हकीकत यह है कि बीजेपी ने हिन्दुत्व के प्रोपेगेण्डे से कतअ नजर मफादे आम्मा के लिये कोई ठोस काम नहीं किया। इसके बावजूद बीजेपी की ताकत को कम मान लेना दानिशमंदी नहीं होगी। पार्टी की सबसे बडी ताकत आरएसएस का वह कैडर है जिसके बारे में खुद सरसंघ संचालक मोहन भागवत कह चुके हैं कि उसे किसी भी मौके पर सिर्फ चंद घंटे की नोटिस पर महाज पर लगाया जा सकता है, इसके अलावा साबिक वजीरे आला मायावती भी कह चुकी हैं कि अगर बीजेपी और समाजवादी र्पाअी में से किसी एक साथ जाना पडे तो वह बीजेपी के साथ जाना पसंद करेंगी।

लेकिन इन तमाम बातों के बावजूद इस वक्त बीजेपी के सामने सबसे बडा चैलेन्ज दाखली खलफिशार और बगावत को रोकना है जिसके सबब अवाम में यह पैगाम जा रहा है कि बीजेपी का जहाज डूब रहा है इसलिये इस डूबते हुये जहाज में सवार होने या उस पार्टी को वोट देने से कोई फायदा होने वाला नहीं है। बीजेपी में बढ़ती हुई बग़ावत के एतेराफ 2024 में होने वाले पार्लिमानी एलेक्शन को भी मुतअस्सिर कर सकते हैं।

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