नई दिल्ली: शहर की एक अदालत ने दिल्ली पुलिस को निजामुद्दीन मरकज के रिहायशी हिस्से की चाबी तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद के परिवार को सौंपने का निर्देश दिया है। कोविड-19 दिशा-निर्देश का उल्लंघन कर धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद इस परिसर को बंद कर दिया गया था।

मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गुरमोहिना कौर ने जांच एजेंसियों को परिसर का निरीक्षण कर इसे साद के परिवार को सौंपने के लिए पांच दिन का समय दिया। अदालत साद की माता खालिदा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिन्होंने उस परिसर को खोलने का अनुरोध किया, जहां वह रहती थीं। अदालत ने खालिदा और उनके परिवार के सदस्यों को एक हलफनामा भी देने को कहा है कि वे किसी भी तरह से मामले की जांच में बाधा नहीं पहुंचाएंगे और परिसर के रिहायशी हिस्से का इस्तेमाल केवल रहने के लिए किया जाएगा। मरकज के किसी अन्य हिस्से में वे नहीं जाएंगे।

अदालत ने 11 सितंबर को सुनाए गए आदेश में कहा कि देश के हर नागरिक को संविधान के तहत जीवन और आजादी का अधिकार हासिल है और रिहायशी परिसर तक पहुंच का अधिकार भी इन्हीं अधिकारों में समाहित है। निजामुद्दीन के थाना प्रभारी की शिकायत पर तबलीगी जमात के नेता मौलाना साद कंधालवी और छह अन्य के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। महामारी कानून, आपदा प्रबंधन कानून (2005), विदेशी कानून और भारतीय दंड संहिता की अन्य प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।

निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में विदेशी नागरिकों समेत हजारों लोगों के हिस्सा लेने के बाद साद और छह अन्य के खिलाफ 31 मार्च को एक प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले कई लोग बाद में कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे।