उत्तर प्रदेश में कोल जाति की बहुत बड़ी आबादी है जिसके साथ अन्याय हो रहा है अनुसूचित जनजाति का दर्जा न मिलने से वे वनाधिकार कानून में भूमि के अधिकार से वंचित है और सरकारी सेवाओं में यथोचित प्रतिनिधित्व भी उन्हें नहीं मिल पा रहा है। इसलिए कोल जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए राज्य सरकार विधि के अनुरूप प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजे और उससे आग्रह करे कि वह कोल जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए आवश्यक विधिक, विधायी व प्रशासनिक कार्यवाही करे। यह मांग स्वराज अभियान के अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने आज मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में उठाई। पत्र की प्रतिलिपि मुख्य सचिव को भी भेजी गई है।
सीएम को भेजे पत्र में कहा गया कि कोल के जनजाति दर्जा के सम्बंध में सचिव जनजाति कार्य मंत्रालय भारत सरकार को पत्र भेजा गया था। जिसकी प्रतिलिपि आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रधानमंत्री को भी भेजी गई थी। प्रेषित पत्र को प्रधानमंत्री कार्यालय ने संज्ञान में लेकर मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश को विचारार्थ भेजा है। ऐसी स्थिति में हम चाहेंगे कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कोल जाति को जनजाति का दर्जा देने के लिए विधि के अनुरूप प्रस्ताव भारत सरकार के जनजाति कार्य मंत्रालय को भेजा जाए ताकि कोल जाति के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा हो सके और उन्हें जनजाति का दर्जा प्राप्त हो सके तथा वह जनजाति को प्राप्त अन्य अधिकारों के साथ ही अनुसूचित जनजाति व अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 के अधिकारों का भी उपभोग कर सके।
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