बिजनेस ब्यूरो
अगस्त के महीने में देश का थोक मूल्य सूचकांक (WPI) बढ़कर 11.39 फीसदी पर जा पहुंचा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ईंधन और बिजली की कीमतों में तेज़ी के कारण थोक महंगाई में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इसके साथ ही महंगाई की इस मार के लिए मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की कीमतों में आया उछाल भी जिम्मेदार हैं.

सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, ईंधन की कीमतों में तेज़ी के कारण थोक महंगाई में बढ़ोतरी हुई है. इस दौरान फ्यूल एंड पावर की महंगाई 26.02 फीसदी से बढ़कर 26.09 फीसदी हो गई है.

वहीं, मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई 11.20 फीसदी से बढ़कर 11.39 फीसदी हो गई है. हालांकि, होलसेल मार्केट में खाने के सामान से जुड़ी महंगाई 4.46 फीसदी से गिरकर 3.34 पर आ गई है.

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि थोक महंगाई बढ़ने से आम आदमी और कंपनियों पर दबाव बढ़ता है. ऐसे में RBI ब्याज दरें घटाने की जगह बढ़ा सकता है. ऐसे में कंपनियों का ब्याज खर्च बढ़ जाएगा. लिहाजा कंपनी के मुनाफे पर दबाव आएगा. साथ ही, कंपनियां अपनी विस्तार योजनाएं टाल सकती है.