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इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) और ईवाई ‘ए कोंसिक्वेंशियल जीएसटी स्टेप : बून और बैन फॉर मोबाइल हैंडसेट इंडस्ट्री?’ रिपोर्ट जारी करते हुए खुशी महसूस करते हैं. रिपोर्ट वर्तमान आर्थिक माहौल में मोबाइल फोन के महत्व, मोबाइल फोन पर लागू टैक्स कानूनों को रेखांकित करती है. रिपोर्ट भारत में मोबाइल फोन उद्योग के विकास के लिए उचित टैक्स ढांचे के साथ ही सही नीतिगत प्रोत्साहन की आवश्यकता पर जोर देती है. भारतीय मोबाइल फोन उद्योग पिछले कुछ वर्षों में काफी तेज प्रगति का गवाह रहा है. मोबाइल फोन ग्राहकों ने एक अरब का आंकड़ा पार कर लिया है, और मोबाइल फोन की मासिक बिक्री भी लगातार 2 से 2.7 करोड़ के बीच रही है. तर्कसंगत अप्रत्यक्ष टैक्स, जिसमें वैट और उत्पाद शुल्क शामिल हैं, संयुक्त रूप से पिछले एक-डेढ़ दशक से अधिक समय से 6-8% के बीच था, यही वजह है कि मोबाइल उद्योग को फलने-फूलने का भरपूर अवसर मिला. अधिकांश उत्पादों और वस्तुओं में, वैश्विक बाजारों में भारत की हिस्सेदारी लगभग 2-3% है जो ग्लोबल जीडीपी के हमारे हिस्से 3.2% के अनुरूप ही है. लेकिन मोबाइल फोन के क्षेत्र में हमारी हिस्सेदारी 5% से अधिक है. इसका एक महत्वपूर्ण कारण तर्कसंगत टैक्स था. सरकार ने वैश्विक और घरेलू निर्माताओं को आकर्षित करने वाली कई योजनाओं के तहत प्रोत्साहन पैकेज की पेशकश की. इसके परिणामस्वरूप मोबाइल फोन का उत्पादन 2014-15 में 19 हजार करोड़ रुपये मूल्य के 6 करोड़ यूनिट से बढ़कर 2020-21 में 2 लाख, 20 हजार करोड़ रुपये मूल्य के 33 करोड़ यूनिट तक पहुंच गया है. मोबाइल हैंडसेट को 12% जीएसटी दर में लाने से उद्योग पर लगभग 50 फीसद टैक्स बढ़ गया, जो जीएसटी से पहले के मौजूदा राष्ट्रीय औसत 8.2 से काफी ज्यादा है. अभी उद्योग जीएसटी के कारण बढ़े टैक्स के बोझ से उभर ही रहा था कि सरकार ने एक बार फिर जीएसटी दर में 50 फीसद (जीएसटी दर 12% से 18%) की बढ़ोतरी कर दी. जीएसटी दर में इस वृद्धि का असर उपभोक्ताओं के लिए कीमतों में वृद्धि के कारण बनेगा, जिसके कारण मोबाइल फोन की मांग में कमी होगी. आगे चलकर सरकार का यह कदम ‘डिजिटल इंडिया’ पहल के लिए भी एक अवरोधक बनेगा, क्योंकि पहले से ही महंगे स्मार्टफोन जीएसटी दर में बढ़ोतरी के कारण और महंगे हो जाएंगे. ICEA ने विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखे अपने पत्र में, उनसे मोबाइल फोन पर GST दर को घटाकर 12% और कल-पुर्जों पर 5% तक रखने का अनुरोध किया है. इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के अध्यक्ष श्री पंकज मोहिंद्रू कहते हैं, “इस रिपोर्ट के माध्यम से नीति निर्माताओं के समक्ष सभी प्रमुख बिंदुओं को रखा गया है, और मोबाइल हैंडसेट व उसके कल-पुर्जों पर हुई जीएसटी दरों में वृद्धि को उजागर किया गया है. मुझे विश्वास है कि यह अध्ययन मोबाइल फोन के महत्व को व्यवहारिक तौर पर सामने रखेगा, और यह सरकार को मोबाइल फोन पर जीएसटी दर में वृद्धि को रद्द करने के लिए पर्याप्त जानकारी देगा. साल 2026 तक भारत के घरेलू बाजार के 80 अरब अमेरिकी डालर के आकार तक पहुंचने के लिए वहन करने की क्षमता (एफोर्डेबिलिटी) महत्वपूर्ण होगी, और जीएसटी दरें इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी.”