लखनऊ
इमामबाड़ा गुफ़रान मआब में मुहर्रम की पांचवी मजलिस को ख़िताब करते हुए मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने अक़ीदा और अमल की अहमियत पर मजलिस को ख़िताब किया।

मौलाना ने कहा कि अल्लाह के हुक्म पर अमल करने का नाम ईमान हैं। जो अल्लाह के रसूल (स.अ.व) ने हुक्म दिया हैं उसी के मुताबिक़ अमल करना मोमिन की अलामत हैं। न उसमे कुछ अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ बढ़ाया जाये और न कुछ घटाया जाये।

अगर अक़ीदा हैं और अमल नहीं है तो उस अक़ीदे का कोई फायदा नहीं। निफ़ाक़ इसी को तो कहते हैं कि जो अक़ीदा हो उसके बर ख़िलाफ़ काम किया जाये।

अगर कोई अक़ीदे की पुख़्तगी का दावा करे लेकिन एहकामे इलाही पर अमल करने में सुस्ती का मुज़ाहेरा करे तो हक़ीक़त में उसका अक़ीदा मकड़ी के जाले से भी ज़्यादा कमज़ोर हैं। अक़ीदे की पुख़्तगी अच्छे अमल से ज़ाहिर होती हैं। मजलिस में मौलाना ने हज़रत हुर (अ.स) की तौबा और उनके बेटे की बहादुरी और शहादत का तज़किरा किया।